राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच लड़ाई में आखिरकार राजभवन की जीत हुई और केके पाठक को तगड़ा झटका लगा. दरअसल, शिक्षा विभाग की बैठक में शामिल होने को लेकर चल रही सरगर्मी के बीच कुलपतियों ने आखिरकार राज्यपाल सह कुलाधिपति के दिशा-निर्देशों का ही पालन किया. राज्यपाल द्वारा जारी निर्देश के बाद विश्वविद्यालयों के कुलपति बुधवार को शिक्षा विभाग की बैठक में शामिल होने नहीं पहुंचे. यहां तक कि मगध और कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय को छोड़कर किसी अन्य विश्वविद्यालय ने अपने नाम से एक भी प्रतिनिधि तक नहीं भेजा. अब कुलपतियों ने बैठक में शामिल ना हो कर एक्शन तो ले लिया. लेकिन, अब आगे उनका क्या होगा ?
शिक्षा विभाग ने दिखाया गंभीरता
दरअसल, यह सवाल लगातार उठ रहे हैं कि, क्या शिक्षा विभाग की ओर से कुलपतियों को लेकर किसी तरह का एक्शन लिया जाएगा ? तो इस सवाल के जवाब को लेकर कहा जा रहा कि, परीक्षा समीक्षा की बैठक में बुलावे की कुलपतियों की नाफरमानी को शिक्षा विभाग ने गंभीरता से लिया है. विश्वविद्यालयों के अधिकारियों को सबक सिखाने को लेकर शाम तक अधिकारी मंथन करते रहे. आखिरकार बिहार कंडक्ट ऑफ एग्जामिनेशन एक्ट 1981 के तहत राज्य सरकार के अधिकार के उपयोग को आधार बनाने की रणनीति बनाई गई. साथ ही साथ परीक्षा की गड़बड़ियों को लेकर विश्वविद्यालयों को रडार पर लेने की चर्चा है.
शिक्षा विभाग लेगा एक्शन
साफ तौर पर कहा जा रहा कि, शिक्षा विभाग की ओर से एक्शन लिया जाएगा. याद दिला दें कि, पहले भी कहा गया था कि, यदि कुलपति और कुलसचिव शिक्षा विभाग का आदेश नहीं मानते हैं तो शिक्षा विभाग विश्वविद्यालय के बजट अनुमोदन पर रोक लगा सकता है. आय-व्यय की जांच करा कर गड़बड़ी पाए जाने पर कार्रवाई कर सकता है. बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 48 एवं 52-54 में इसकी व्याख्या है. इस बीच शिक्षा विभाग ने तैयारी कर ली है. वहीं, बुधवार को हुई बैठक की जानकारी दे दें तो, बैठक को लेकर शिक्षा विभाग के अफसर ठीक 11 बजे सचिवालय स्थित मदन मोहन झा स्मृति सभागार में पहुंच गये थे. जहां सभी अधिकारी साढ़े 12 बजे तक कुलपतियों के आने का इंतजार करते रहे. लेकिन कोई भी कुलपति बैठक में नहीं पहुंचे. केवल एक विश्वविद्यालय कामेश्वर सिंह दरभंगा विश्वविद्यालय ने अपने कुल सचिव के साथ परीक्षा नियंत्रक को भेजा. वहीं, मगध विश्वविद्यालय से केवल परीक्षा नियंत्रक आये.
कौन-कौन हुए थे शामिल
इस तरह विश्वविद्यालयों के केवल तीन प्रतिनिधियों के साथ शिक्षा विभाग के आधा दर्जन से अधिक अफसरों ने बैठक की. नाम मात्र के लिए हुई इस बैठक की अध्यक्षता उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी ने की. इस दौरान डिप्टी डाइरेक्टर दीपक कुमार और उनके कुछ सहयोगी मौजूद रहे. इस बैठक की अध्यक्षता शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ही करने वाले थे. लेकिन विश्वविद्यालय प्रतिनिधियों की समुचित और सक्षम पदाधिकारियों की नामौजूदगी की वजह से वह बैठक में नहीं आये. बैठक में परीक्षा सत्रों के संदर्भ में चर्चा की जानी थी. उच्च शिक्षा निदेशक ने उपस्थित दो विश्वविद्यालयों के तीन प्रतिनिधियों से चर्चा की और जरूरी दिशा निर्देश दिये.
2 और 3 मार्च को भी बैठक
दरअसल, शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों की लंबित परीक्षा की समीक्षा के लिए यह बैठक बुलाई थी. इसमें कुलपतियों से लेकर परीक्षा नियंत्रक तक को बुलाया गया था. लेकिन, इस बैठक को लेकर राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच ठन गई. वहीं, अब दो और तीन मार्च को शिक्षा विभाग की तरफ से कुलपतियों, कुल सचिवों और दूसरे अधिकारियों को एक उन्नयन कार्यक्रम में बुलाया गया है. राज्यपाल सह कुलाधिपति ने उस सेमिनार में भी कुलपतियों को सख्त निर्देश दिये हैं कि वहां भी नहीं जाना है. बात साफ है कि बुधवार के हालात को देखते हुए लग रहा है कि दो और तीन मार्च की सेमिनार में शायद ही कोई कुलपति या कुल सचिव पहुंचे. हालांकि, उसके बाद शिक्षा विभाग का क्या कुछ स्टैंड होता है, यह देखने वाली बात होगी.