बिहार में महागठबंधन और एनडीए के बीच संग्राम छिड़ा है. राष्ट्रीय जनता दल कोटे के 17 मंत्रियों के कार्यकाल की समीक्षा के आदेश सरकार के द्वारा निर्गत किए गए हैं. सरकार के स्तर पर विभागों में हुई गड़बड़ियों की जांच कराई जाएगी.
इस पर भाजपा और राजद आमने-सामने आ गईं हैं......एनडीए सरकार के फैसले पर राष्ट्रीय जनता दल ने आपत्ति जताई है. पार्टी की ओर से कहा गया है कि नीतीश कुमार भाजपा के दबाव में काम कर रहे हैं. वहीं भाजपा की ओर से भी पलटवार किया गया है. भाजपा प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने कहा है कि राष्ट्रीय जनता दल के लोग जब सत्ता में आते हैं तो भ्रष्टाचार के जरिए धन का अर्जन करते हैं.

भाजपा प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि प्रदेश में सुशासन की सरकार है और गड़बड़ी करने वाले चाहे अदना हो या खास कभी बख्शे नहीं जाएंगे. राजद की पहचान भ्रष्टाचार से है. राजद भ्रष्टाचारियों की फौज है, जहां पद और पावर मिला धंधा शुरू कर देते हैं. कई घोटाले उनके कार्यकाल में हुए हैं. मंत्रियों के कार्यकाल की जांच सरकार करना चाहती है तो इसके लिए वह बेचैन क्यों हैं. अगर पाक साफ हैं तो उन्हें जांच में सहयोग करना चाहिए.
राजद कोटे के मंत्रियों के कार्यकाल की जांच के आदेश पर राष्ट्रीय जनता दल के मुख्य प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा है कि मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो रहा है. बिहार की जनता परेशानी उठा रही है. इस पर सब ने चुप्पी साथ रखी है और राष्ट्रीय जनता दल कोटे के मंत्रियों की जांच करने की बात कर रहे हैं. हमें किसी बात का डर नहीं है.

"जांच करनी है तो 17 महीने बनाम 17 साल कर लें. जब हम लोग सरकार में थे तो क्रेडिट देने का भी काम करते थे और नीतीश कुमार की तस्वीर भी छपती थी, लेकिन भाजपा के लोगों ने नीतीश कुमार की तस्वीर लगाना भी बंद कर दिया. बिहार की जनता इनको सोटा लेकर रगेद देगी."
एनडीए सरकार का बड़ा फैसला
गौरतलब है कि बिहार में एनडीए सरकार के गठन होते ही मुख्यमंत्री नीतीश सरकार ने पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और राजद कोटे के मंत्रियों के विभागों की समीक्षा का निर्देश दिया है. नीतीश सरकार का ये बड़ा फैसला माना जा रहा है. यह समीक्षा 1 अप्रैल 2023 से अब तक की होगी. इस दौरान आरजेडी सरकार के मंत्रियों द्वारा लिए गए फैसले की सरकार समीक्षा करेगी.