Patna - राष्ट्रीय जनता दल के राज्य कार्यालय में समाजवादी नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री डाॅ0 रघुवंश प्रसाद सिंह जी की पुण्यतिथि मनाई गई. इस दौरान राजद नेताओं ने सीएम नीतीश कुमार पर स्वर्गीय रघुवंश बाबू के बारे में की गई घोषणा को पूरे दान में डालने का आरोप लगाया.RJD कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द सिंह की अध्यक्षता में स्वर्गीय रघुवंश प्रसाद सिंह की पुण्यतिथि मनायी गई। इस अवसर पर डाॅ0 सिंह के तैल चित्र पर माल्र्यापण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द सिंह ने कहा कि डाॅ0 रघुवंश प्रसाद सिंह संस्थापक पार्टी के वरिष्ठ नेता थे। उनका जन्म वैशाली जिला के शाहपुर में 06 जून, 1946 को हुआ था। वे डाॅ0 राममनोहर लोहिया, जननायक कर्पूरी ठाकुर तथा जय प्रकाश नारायण के साथ काम किये। वे लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन में सक्रिय रहें। वे 1977 से 1979 तक बिहार के उर्जा मंत्री रहे। वे लोकदल के अध्यक्ष बनें। वे 1985 से 1990 तक लोक लेखा समिति के अध्यक्ष रहे। वे पांच बार लोकसभा के सदस्य रहें। ठेठ और गवई अंदाज से डाॅ0 रघुवंश प्रसाद सिंह की पहचान थी। उनकी राजनीति के केन्द्र में गरीब, पिछड़े और ग्रामीण वर्गों के लोग रहें। वे केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में मनरेगा मैन कहलाए और ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछाकर विकास की एक नई अध्याय लिखी।
वहीं राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने राज्य एवं केन्द्र सरकार पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह जी की उपेक्षा करने और उनके निधन के बाद किए गए घोषणा को कूड़ेदान में डाल देने का आरोप लगाया है। राजद प्रवक्ता ने कहा कि उनके निधन के बाद मुख्यमंत्री जी द्वारा घोषणा की गई थी कि रघुवंश बाबू द्वारा की गई मांगों को पूरा करने हेतु राज्य सरकार शीघ्र पहल करेगी। प्रधानमंत्री जी द्वारा भी कहा गया कि रघुवंश बाबू की माँगों को पुरा करने के लिए केन्द्र की सरकार राज्य सरकार को हर प्रकार की मदद करने के लिए तैयार है, पर चार साल हो गये अबतक उनकी एक भी मांग को पूरा नहीं किया गया है। उनकी मांगों को लेकर सरकार द्वारा अबतक कोई पहल नहीं किया जाना काफी दुर्भाग्यपूर्ण और असम्मान जनक है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि अपने जीवनकाल में कुछ कामों को पुरा नहीं करने का उन्हें मलाल रह गया था जिसे मृत्यु पूर्व मुख्यमंत्री और सिंचाई मंत्री को पत्र लिखकर पूरा करने का आग्रह किया था। तत्कालिक राजनीतिक लाभ लेने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री द्वारा उनके मांगों को पूरा करने की सार्वजनिक घोषणा की गई थी। पर चार साल गुजर गए अभी तक उस दिशा में कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है।
डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह ने अपने मृत्यु पूर्व मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में माँग की थी कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष 15 अगस्त और 26 जनवरी को वैशाली गढ पर सरकारी आयोजन किया जाये और महामहिम राज्यपाल महोदय अथवा मुख्यमंत्री द्वारा झंडोतोलन किया जाये जैसे एकीकृत बिहार में पटना और राँची में झंडोतोलन की परम्परा थी। मुख्यमंत्री को लिखे एक दूसरे पत्र में उन्होंने भगवान बुद्ध का भिक्षा-पात्र अफगानिस्तान से वैशाली मंगवाने की माँग की थी।मुख्यमंत्री को लिखे एक अन्य पत्र में रघुवंश बाबू ने मनरेगा से आम किसानों को जोड़ने की माँग की थी। जिससे मजदूरों को काम भी मिलेगा और किसानों को मजदूर की उपलब्धता के साथ हीं आर्थिक बोझ भी हल्का होगा। सिंचाई मंत्री को सम्बोधित पत्र में रघुवंश बाबू द्वारा समाजवादी विचारक और साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी जी के घर की सुरक्षा के लिए मुजफ्फरपुर के कटौंझा धार को दोनों तटबंधों के बीच लाने, मुजफ्फरपुर जिला के साहेबगंज, मोतीपुर और वैशाली में गंडक नहर पर छोटा पुल बनाने, वैशाली जिला के महनार प्रखंड में मलमला नहर के दाहिने बाँध का चैड़ीकरण कर सड़क बनाने और शाहपुर मे नहर में स्लूइस गेट लगवाने का आग्रह किया गया था।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि जिन तत्वों के खिलाफ रघुवंश बाबू आजीवन लड़ते रहे। जिते जी तो वे तत्व उनका सामना नहीं कर सके पर उनके अचेत होने के बाद उन्हीं तत्वों ने सुनियोजित साजिश के तहत एक काल्पनिक कथानक के आधार पर उनके पुण्यात्मा के साथ अक्षम्य अपराध किया था साथ हीं उनके लिखे पत्रों की गलत व्याख्या कर राजनीतिक लाभ लेने का घटिया प्रयास किया था।