संजय लीला भंसाली की पहली वेब सीरीज हीरामंडी वेब सीरीज नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई और लोगों को वह बहुत पसंद आ रही है. हालांकि, बहुत लोग संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज की आलोचना भी कर रहे हैं, उनका कहना है कि उसमें तवायफों को ग्लोरिफाय किया गया. अब वेब सीरीज के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली ने वैसे लोगों को जवाब दिया है.
'...ये महिलाएं सबसे खूबसूरत हैं'
Bollywood Hungama को दिए एक इंटरव्यू में संजय लीला भंसाली ने तवायफों के बारे में बात करते हुए कहा कि ये महिलाएं सबसे खूबसूरत हैं. ये महिलाएं बहुत सोफिस्टीकेटेड थीं, तहजीब-तमीज में काफी ट्रेंड होती थीं. ये महिलाएं जीवन को एक कविता की तरह जीने की कला जानती थीं.
'उन्हें डायमंड और सिल्क में दिखाना काफी मजेदार था'
भंसाली ने आगे कहा कि उन्हें परंपराओं का पता था, वो क्लासिकल डांसिंग और क्लासिकल म्यूजिक की कला को जानती थीं, लेकिन इसके साथ ही उनके पास दर्द और पीड़ा की कहानियां भी थीं, जिससे वो गुजरी थीं... उन्हें डायमंड और सिल्क में दिखाना काफी मजेदार था क्योंकि उनकी आंखें कुछ और कह रही थीं.
उनके अंदर अपनी एक पॉलिटिक्स चलती है
संजय लीला भंसाली ने बताया कि कैसे उन्होंने वेब सीरीज में तवायफों के अंदर की उथल-पुथल को दिखाया है. भंसाली ने कहा कि उनके अंदर अपनी एक अलग पॉलिटिक्स चलती थी. उन्हें जिंदगी जीने के लिए उतना ही संघर्ष करना पड़ता था, जितना एक मिडिल क्लास या लोवर क्लास महिलाओं को करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि मैंने सिर्फ ग्लैमरस पार्ट नहीं दिखाया. हर क्लोज अप में उनके अंदर का संघर्ष दिखाया गया है. उनमें से कुछ ऐसी हैं, जो हमने सुनी हैं और कुछ रियल कैरेक्टर्स से ली गई हैं.
कल्पना का हिस्सा है हीरामंडी
हीरामंडी को लेकर संजय लीला भंसाली ने कहा कि यह काल्पनिक काम है और उनकी कल्पना का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि लाहौर और हीरामंडी पर मेरे काम को इस तरह नहीं देखा जाना चाहिए जैसे कि वह रियलिटी से लिया गया हो. इसमें लाहौर की छाप है. हीरामंडी की छाप है. मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि यह रीयलिस्टिक कैसे हो सकता है, क्योंकि मैं उस युग में नहीं जिया हूं. मैंने वो दुनिया नहीं देखी है. मैं इसे 30 या 20 के दशक की हीरामंडी की तरह आज की हीरामंडी की तरह क्लियरली नहीं दिखा सकता.