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संजय पासवान और अश्विनी चौबे के बयान से BJP और एनडीए में घमासान..

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PATNA- लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की तरह ही बिहार बीजेपी में भी घमासान मचा हुआ है और बीजेपी के नेता प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से अपने ही पार्टी के नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान के बाद अश्वनी चौबे ने भी पार्टी की वर्तमान रणनीति के खिलाफ बयान दिया है जिसके बाद से  विपक्षी पार्टी के नेता भी बीजेपी और एनडीए पर तंज कस रहे हैं.

भाजपा के वरिष्ठ नेता सह पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व में बिहार में एनडीए की सरकार बननी चाहिए. उन्होंने अपनी मंसा बताते हुए भाजपा के कार्यकर्ताओं को अभी से लग जाने की सलाह भी दी है.अश्विनी कुमार चौबे ने भागलपुर में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनकी अपनी इच्छा है कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बिहार में बननी चाहिए. हम पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा अकेले दम पर आए और एनडीए के सहयोगी दल को भी आगे बढ़ाए. हमारी ऐसी मंशा है. हमने अपने नेतृत्व को भी यह बताया है. हमें पार्टी में बाहरी नेतृत्व नहीं चाहिए. इस बयान के जरिए अश्वनी चौबे ने प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को सीधा निशाना बनाया है. सम्राट चौधरी राजद और जेडीयू होते हुए भाजपा में आए हैं.


वही अश्वनी चौबे से पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता संजय पासवान ने अपनी ही पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाया था. संजय पासवान ने लोकसभा चुनाव में एनडीए को मिली जीत का पूरा क्रेडिट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दिया है. उन्होंने कहा कि अगर एनडीए के साथ सीएम नीतीश कुमार नहीं होते तो बिहार में बीजेपी शून्य पर आउट हो जाती.
संजय पासवान ने कहा कि हमें कहने में गुरेज है लेकिन यह सच्चाई है कि अगर नीतीश कुमार जी बीजेपी के साथ नहीं होते तो इस बार के लोकसभा चुनाव में बिहार में बीजेपी शून्य पर आउट हो जाती. इस बार के लोकसभा चुनाव में बिहार में धार्मिक ध्रुवीकरण नहीं हुआ है.इस बार तेजस्वी यादव की ताकत बढ़ी है. उन्होंने कहा कि इस बार निश्चित तौर पर जातियों का जुटान हुआ है और बिहार में एक तरफ तेजस्वी यादव और एक ओर नीतीश कुमार जी की ताकत बढ़ी है. उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर की ताकत भी बड़ी तेजी से बढ़ रही है. 

 बताते चलें कि संजय पासवान और अश्विनी  चौबे का बयान कहीं- न कहीं बीजेपी की बिहार इकाई में आपसी गुटबाजी के रूप में देखा जा रहा है, और दोनों पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की नजर में आना चाहते हैं क्योंकि अभी दोनों के पास किसी तरह का पद नहीं है. संजय पासवान का विधान पार्षद का टेन्योर खत्म हो चुका है वही अश्वनी चौबे को इस बार लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला था. इन दो नेताओं के बयान से बीजेपी और एनडीए गठबंधन के नेता और असहज महसूस कर रहे हैं.

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