सूचना प्रावैधिकी एवं लघु सिंचाई मंत्री डा. संतोष कुमार सुमन ने कहा कि इंदिरा गांधी की तानाशाही के विरुद्ध जेपी आंदोलन में शामिल होने की वजह से उस समय के अनेक छात्र नेताओं की तरह लालू प्रसाद भी जेल गए , लेकिन अब इंदिरा गांधी की तारीफ कर वे जेपी को धोखा दे रहे हैं।उन्होंने कहा कि 49 साल पहले लालू प्रसाद की वह हैसियत नहीं थी कि इंदिरा जैसी शक्तिशाली प्रधानमंत्री इनका नाम लेकर कोई टिप्पणी करतीं। प्रधानमंत्री मोदी ने भी लालू प्रसाद पर सीधे कुछ नहीं कहा है। डाक्टर सुमन ने कहा कि आपातकाल में जेपी, अटल बिहारी वाजपेयी , चंद्रशेखर सहित जिन नेताओं को भी गिरफ्तार किया गया था, उन पर मीसा और डीआइआर जैसे कानून की धाराएँ लगाकर तत्कालीन सरकार ने उन्हें देश-द्रोही माना था। उन्होंने कहा कि लोहिया के गैर-कांग्रेसवाद और जेपी आंदोलन की भावना से अगर सबसे पहले किसी ने विश्वासघात किया, तो वह लालू प्रसाद थे। डाक्टर सुमन ने कहा कि जेल यातना की याद में लालू प्रसाद ने बेटी का नाम मीसा ( अब सांसद) रखा और समय की विडम्बना देखिये कि वह बेटी कांग्रेस की मदद से पहली बार लोकसभा की सदस्य बनी। उन्हें बेटी का नाम बदल देना चाहिए । उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद सदैव सत्ता का दुरुपयोग सम्पति बनाने के लिए करते रहे। वे चारा घोटाला के चार मामलों में सजायाफ्ता हैं और रेलवे की नौकरी के बदले जमीन लेने के आरोप में जांच एजेंसियों का सामना कर रहे हैं। क्या ऐसे कृत्य करना ही उनकी देशभक्ति है?