Supaul : सरकारी अस्पताल में सर्पदंश पीड़िता मरीज की झाड़फूंक करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। खास बात यह है कि, इस मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन भी बेखबर रही। जिसके बाद यह मामला इलाके में चर्चा का विषय बन गया है। यह मामला त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल का है।
बताया जा रहा है कि, सोमवार की रात छातापुर थाना क्षेत्र के नारहैया निवासी रविन्द्र सरदार की 18 वर्षीय पुत्री आरती कुमारी को घर के दरवाजे के पास सांप ने बाएं पैर में काट लिया। जिसके बाद उसके परिजन उसे आनन-फानन में अनुमंडलीय अस्पताल त्रिवेणीगंज लेकर पहुंचे। लेकिन अस्पताल में इमरजेंसी ड्यूटी पर उस समय डॉक्टर नदारद मिले। बताया गया है कि इस बीच डॉक्टर के अनुपस्थित रहने पर परिजनों ने अपने रिश्ते की एक महिला तांत्रिक को अस्पताल बुलाया। हैरानी की बात यह रही कि अस्पताल के इमरजेंसी ओटी में ही तांत्रिक ने झाड़फूंक शुरू कर दी। झाड़फूंक के बाद वहां जीएनएम नर्स पहुंची फिर इलाज शुरू किया गया। इमरजेंसी ड्यूटी में तैनात जीएनएम नर्स नीलम कुमारी ने बताया कि वे अभी थोड़ी देर पहले ड्यूटी पर आई हैं, डॉक्टर मौजूद नहीं हैं और उन्हें यह भी पता नहीं कि किस डॉक्टर की ड्यूटी है। हालांकि मामला सुर्खी में आने के बाद तांत्रिक महिला को वहां से हटा दिया गया और सर्पदंश पीड़िता का इलाज शुरू कराया गया।
अब सवाल उठता है कि आधुनिकता के इस दौर में जब सरकार द्वारा अस्पतालों में तमाम तरह की सुविधाएं प्रदान की गई है ऐसे समय मे सरकारी अस्पताल में शर्पदंश पीड़िता का तांत्रिक द्वारा इलाज हो रही है। और अस्पताल प्रसाशन बेखबर बना हुआ है तो चर्चा होना लाजिमी हो जाता है। समय पर डॉक्टर मौजूद रहते तो शायद इस तरह के कारनामे नहीं होते। ऐसे में किसकी लापरवाही है इसकी जांच कर समुचित कार्यवाही की जानी चाहिए। ताकि आने वाले समय मे इस तरह की गतिविधि की पुनरावृत्ति नहीं हो सके।
सुपौल से अमरेश कुमार की रिपोर्ट
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