अनियमितता और भ्रष्टाचार में आयुष्मान भारत योजना के क्रियान्वयन के लिए चयनित बीमा कंपनी, बीमा कंपनी का बीमा करने वाली पुनः बीमा कंपनी और एक बिचौलिया निजी कंपनी के कारिंदे शामिल हैं जिसे झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने आयुष्मान योजना का क्रियान्वयन करने के लिए गठित “झारखंड स्टेट आरोग्य सोसाइटी के माध्यम से इस पूरी प्रक्रिया में निःशुल्क सेवा देने के नाम पर शामिल किया है।
स्वास्थ्य विभाग की पहल पर झारखंड स्टेट आरोग्य सोसाइटी और एक निजी कंपनी “निरूज कंसलटेंट्स एलएलपी” के बीच गत 11 जनवरी 2024 को एक एमओयु (सहमति पत्र ) पर हस्ताक्षर हुआ है जिसके अनुसार यह परामर्शी कंपनी आयुष्मान भारत के कतिपय कार्यों के लिए निःशुल्क सहयोग प्रदान करेगी. सहमति के बिन्दु व्यापक हैं पर अस्पष्ट हैं. एमओयु की अधिसूचना की प्रति संलग्न है।
9 फ़रवरी 2024 को सोसाइटी द्वारा जारी अधिसूचना परिपत्र मे परामर्शी निरूज को जो कार्य सौंपे गये हैं उनमें आयुष्मान योजना के क्रियान्वयन के लिए मैनेजमेंट इंफ़ॉरमेशन सिस्टम का प्रतिवेदन समय समय पर देना, सोसाइटी को जब भी और जहां भी ज़रूरत हो परियोजना के सफल क्रियान्वयन प्रक्रिया को परिभाषित करना, नियुक्त की गई बीमा कंपनी की गतिविधियों पर नियमित निगरानी रखना, परियोजना के क्रियान्वयन की सामयिक समीक्षा करना आदि शामिल है. सोसाइटी और निरूज के बीच हुए समझौते में ये सभी कार्य निरूज को निःशुल्क करना है।
आश्चर्य है कि कोई भी निजी कंपनी ऐसे पूर्णकालिक काम, जिसमें पर्याप्त मानव संसाधन एवं वित्तीय संसाधन की ज़रूरत होगी, निःशुल्क करने के लिए कैसे तैयार हो गई है? क्या इसके पीछे कोई परोक्ष गुप्त योजना छुपी है जो अनियमितता और भ्रष्टाचार का कारण बन रही है, जिससे सरकारी धन का अपव्यय हो रहा है और जिसके कारण आयुष्मान योजना में जालसाज़ी करने वाले अस्पतालों को चिन्हित करने, उनपर कार्रवाई की अनुशंसा करने और फिर उन्हें क्लीन चिट देने की कारवाई चल रही है . यह जाँच का विषय है।
मुख्यमंत्री जी इसकी जाँच कराएं और निःशुल्क सहयोग के नाम पर निहित स्वार्थ साधने के लिए झारखंड आरोग्य सोसाइटी और निजी कंपनी निरूज के बीच किया गया एमओयु रद्द करें।