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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब राज्य सरकार को लेना है फैसला, BPSC ने दी सफाई

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सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद राज्यभर में 24 अगस्त से 26 अगस्त के बीच होने वाली शिक्षक भर्ती परीक्षा पर भ्रम की स्थिति बन गई थी नौबत ये आ गई कि रविवार को बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन यानी कि BPSC के चेयरमैन अतुल प्रसाद को सामने आना पड़ा. उन्होंने शिक्षक भर्ती परीक्षा के आयोजन की घोषणा की. साथ ही आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत उम्मीदवारों को किसी भी भ्रम में न रहने की गुजारिश भी की है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट का एक निर्णय आया है, इस आदेश के तहत बीएड डिग्री धारकों को प्राथमिक शिक्षकों के लिए अयोग्य माना जाएगा. 


BPSC के चेयरमैन अतुल प्रसाद ने क्या कहा, आपको बता देते हैं - “अब तक, प्राथमिक शिक्षकों के लिए परीक्षा रोकने का कोई कारण नहीं है। सरकार को इस मामले पर नीतिगत निर्णय लेना चाहिए और हमें अभी तक इस मामले में कोई संदेश नहीं मिला है, जिसका मतलब यह है कि परीक्षा अभी जारी है। शिक्षा समवर्ती सूची में है और केंद्र की तरह राज्य भी अपनेनियम बना सकता है। राज्य सरकार क्या नियम बनाएगी और किस स्तर पर बनाएगी, यह हमें नहीं पता। संभावना के चलते परीक्षा को रोकने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि यह उन कैंडिडेट्स के साथ अन्याय होगा जिन्होंने D.El.Ed (एलीमेंट्री एजुकेशन मेंडिप्लोमा) के आधार पर आवेदन किया है।"


एपेक्स कोर्ट ने इस हफ्ते की शुरुआत में राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को कायम रखा है, जिसने बीएड डिग्री धारकों को प्राइमरी टीचर्स के रूप में नियुक्त करने के लिए अयोग्य बना दिया था क्योंकि वे प्राइमरी क्लास को पढ़ाने के लिए जरुरी बुनियादी शैक्षणिक सीमा पार नहीं करते थे. 


यह 2018 नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन(NCTE) अधिसूचना के खिलाफ है, जिसके तहत बीएड डिग्री धारकों को इस पद के लिए पात्र बनाया गया है. राजस्थान के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने भी बीएड डिग्री धारकों को स्टेट टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट में पात्रता से वंचित किया था, जिसे राजस्थान हाईकोर्ट मन चुनौती दी गई थी और राजस्थान सरकार ने इसका समर्थन किया था. 


सुप्रीम कोर्ट का ये निर्णय तब आया है जब बिहार 1.75 लाख से अधिक शिक्षकों की भर्ती करने की तैयारी कर रहा था, जिसमें 85 हजार से अधिक प्राइमरी टीचर्स भी शामिल थे. प्राइमरी स्कूल भर्ती के कई कैंडिडेट्स असमंजस में आ गए थे क्योंकि कुछ उम्मीदवार बीएड डिग्री वाले थे तो कुछ के पास B.Ed और D.El.Ed दोनों ही डिग्री थीं. 


BPSC के चेयरमैन ने कहा कि सरकार जो भी निर्णय लेगी उसे परीक्षा के बाद भी लागू किया जा सकता है, क्योंकि स्क्रीनिग रिजल्ट के समय या इंटरव्यू से पहले की जाएगी. 

"हम इस स्तर पर डाक्यूमेंट्स का वेरिफिकेशन नहीं कर रहे हैं लेकिन यह परीक्षा के बाद कभी भी किया जा सकता है. कई कैंडिडेट्स के पास BEd और DElEd की दोनों डिग्री हो सकती हैं, जिसे परीक्षा के बाद और मेरिट सूची तैयार करते वक्त फ़िल्टर किया जाएगा. उन उम्मीदवारों को मौका देने से इनकार करने का कोई मतलब नहीं बनता क्योंकि उन्होंने आवेदन करते समय केवल एक दस्तावेज दिखाया होगा."  


यानी पेंच तो फस ही गया है हाँ वो अलग बात है कि शिक्षक भर्ती परीक्षा अपने तय समय पर होगी.

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