यकीन करना तो मुश्किल होगा लेकिन यह सच है कि दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हिंदुओं का मंदिर भारत में नहीं बल्कि सैकड़ों किलोमीटर दूर विदेश में यानी कि अमेरिका में बनाया गया है. अलौकिक, अविश्वसनीय, अद्भुत, इस मंदिर को देखने के बाद कुछ ऐसे ही शब्द आपके जुबान पर आयेंगे. बता दें कि, इस मंदिर को अमेरिका के न्यू जर्सी में रॉबिन्सविल टाउनशिप में बनाया गया है. ये मंदिर अमेरिका के मशहूर न्यूयॉर्क शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर है और राजधानी वॉशिंगटन डीसी से लगभग 289 किलोमीटर दूर है.
जो तस्वीरें सामने आई है, उसे देखने के बाद आपको दिल्ली में बने अक्षरधाम मंदिर की याद जरूर दिला देगी. दरअसल, इसे अक्षरधाम समिति द्वारा ही बनाया गया है. वहीं, मंदिर का निर्माण स्वामीनारायण अक्षरधाम समिति ने साल 2011 में शुरू किया था. अब लगभग 12 साल बाद ये भव्य मंदिर बनकर तैयार हो गया है. जानकारी के मुताबिक, अमेरिका में रह रहे सनातनियों के लिए 8 अक्टूबर का दिन बेहद खास होने जा रहा है क्योंकि इस दिन अमेरिका के न्यू जर्सी में एक नए हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा.
वहीं, इस मंदिर से जुड़े कई सारे खासियत हैं, जो आपको चौंका सकती है...
* इस मंदिर को प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, डिजाइन किया गया है और इसमें 10,000 मूर्तियों और प्रतिमाओं, भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों और नृत्य रूपों की नक्काशी सहित प्राचीन भारतीय संस्कृति के डिजाइन शामिल हैं. यह मंदिर संभवतः कंबोडिया में अंगकोरवाट के बाद दूसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है.
* 12वीं सदी का अंगकोर वाट मंदिर परिसर दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है. यह मंदिर 500 एकड़ में फैला हुआ है और अब यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है. नई दिल्ली में अक्षरधाम मंदिर, जिसे नवंबर 2005 में जनता के लिए खोला गया था, 100 एकड़ में फैला हुआ है.
* अक्षरधाम पारंपरिक हिंदू मंदिर वास्तुकला के साथ बनाया गया है. इस अद्वितीय हिंदू मंदिर के डिजाइन में एक मुख्य मंदिर, 12 उप-मंदिर, नौ शिखर (शिखर जैसी संरचनाएं), और नौ पिरामिड शिखर शामिल हैं. अक्षरधाम में पारंपरिक पत्थर वास्तुकला का अब तक का सबसे बड़ा अण्डाकार गुंबद है.
* इस मंदिर को ऐसे डिजाइन किया गया है कि एक हजार साल तक इसे कुछ नहीं होने वाला है. अक्षरधाम के हर पत्थर की एक कहानी है. जिन चार प्रकार के पत्थर को मंदिर बनाने के लिए चुना गया है उनमें चूना पत्थर, गुलाबी बलुआ पत्थर, संगमरमर और ग्रेनाइट शामिल हैं, जो अत्यधिक गर्मी और ठंड का सामना कर सकते हैं.
* इस हिंदू मंदिर के निर्माण में लगभग दो मिलियन क्यूबिक फीट पत्थर का उपयोग किया गया और इसे दुनिया भर के विभिन्न स्थलों से लाया गया, जिसमें बुल्गारिया और तुर्की से चूना पत्थर, ग्रीस, तुर्की और इटली से संगमरमर, भारत और चीन से ग्रेनाइट, भारत से बलुआ पत्थर और यूरोप, एशिया, लैटिन अमेरिका से अन्य सजावटी पत्थर मंगाया गया है.
* इस मंदिर के ब्रह्मकुंड में एक पारंपरिक भारतीय बावड़ी है, जिसमें भारत की पवित्र नदियों और अमेरिका के सभी 50 राज्यों सहित दुनियाभर के 300 से अधिक जलाशयों का पानी शामिल है. बीएपीएस की सतत प्रथाओं में सौर पैनल फार्म, फ्लाई ऐश कंक्रीट मिश्रण और पिछले कुछ दशकों में दुनिया भर में दो मिलियन से अधिक पेड़ लगाना शामिल है.
* पूरे अमेरिका से स्वयंसेवकों ने अक्षरधाम के निर्माण में मदद की है. उनका मार्गदर्शन भारत के कारीगर स्वयंसेवकों द्वारा किया गया था. अक्षरधाम के निर्माण के लिए लाखों स्वयंसेवियों ने घंटे समर्पित किए गए हैं. पश्चिमी गोलार्ध में हिंदू संस्कृति और वास्तुकला का एक मील का पत्थर कहे जाने वाले अक्षरधाम का औपचारिक उद्घाटन 8 अक्टूबर को बीएपीएस आध्यात्मिक प्रमुख महंत स्वामी महाराज के मार्गदर्शन में किया जाएगा. यह 18 अक्टूबर से आगंतुकों के लिए खुला रहेगा.
* बीएपीएस अधिकारियों के मुताबिक, स्वयंसेवकों ने मंदिर को लाखों घंटे की निस्वार्थ सेवा समर्पित की है. इनमें 18 वर्ष से लेकर 60 वर्ष से अधिक उम्र के छात्र, कंपनियों के सीईओ, डॉक्टर, इंजीनियर और आर्किटेक्ट तक शामिल हैं. उनमें से कई ने महीनों तक काम से छुट्टी ले ली है और मंदिर निर्माण में स्वेच्छा से अपनी सेवाएं देने के लिए निर्माण स्थल के पास कमरे किराए पर लिए.