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शिबू सोरेन की बड़ी बेटी अंजनी सोरेन ने गुरुवार को ओडिशा के मयूरभंज लोकसभा सीट से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।

Shibu Soren Daughter Nomination File

अंजनी सोरेन के नामांकन में पूर्व सीएम की पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन, मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और कांग्रेस के मंत्री बन्ना गुप्ता आदि शामिल हुए. नामांकन के बाद आयोजित एक चुनावी सभा को संबोधित किया. उन्होंने अपना भाषण हिंदी और उड़िया भाषा में दिया. उन्होंने कहा कि मयूरभंज वृहद झारखंड का हिस्सा रहा है. झारखंड के साथ-साथ ओडिशा भी खनिज संपदा से परिपूर्ण राज्य है. अब चाहे ओडिशा सरकार हो या केंद्र सरकार इन्हें केवल खनिज संपदा से मतलब है, आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यकों और पिछड़ों से कोई मतलब नहीं है. यहां पर बहुत मेहनती लोग हैं, किसान हैं, मगर आपके यहां पीने के पानी और सिंचाई के पानी की घोर किल्लत है

सिंचाई की असुविधा होती है. इसके कारण आपको फसल भी बहुत मुश्किल से साल में एक ही बार मिल पाता है. यहां पर बीजेडी की सरकार चल रही है. जिसे भाजपा का भी समर्थन है. मगर इन्हें आपसे कोई लेना-देना नहीं है. चुने विधायक एवं सांसदों को इतना भी समय नहीं है कि आपकी समस्या को सदन में उठा सकें. लोगों को भ्रमित किया जा रहा है. झारखंड में आदिवासी-मूलवासी कमर कस चुके हैं. अब आपलोगों को भी कमर कस लेना चाहिए. आदिवासियों को खैरात में कभी कुछ नहीं मिलता है. हमारे झारखंड जिस प्रकार से अंग्रेजों को हटाने के लिए बिरसा भगवान ने बिगुल फूंका. उस समय जंगल में रहने वाले आदिवासी बाबा तिलका मांझी, सिदो-कान्हू, फुलो-झानो लोगों ने क्रांति छेड़ा था. उन्हें भगाया. उनके राह पर ही चलते हुए दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने महाजनी प्रथा के खिलाफ बिगूल फूंका. उन्होंने झारखंड के लिए लड़ाई लड़ी और झारखंड मिला।

उसके बाद उनके बेटे हेमंत सोरेन के नेतृत्व में 2019 के चुनाव के बाद झारखंडियों और अपने लोगों की सरकार बनी. झामुमो का मतलब ही होता है, वैसी पार्टी जो आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग, किसान, मजदूरों की पार्टी. चुनाव के समय आपको झूठ बोला जाएगा, भटकाया जाएगा. अगर आपका खजाना कोई ले जा रहा तो उसका हक आपको मिलना चाहिए. भाजपा के लोगों को आदिवासी शब्द से चीढ़ है, आदिवासी को वनवासी कहते हैं. हम गर्व से झारखंड में आदिवासी दिवस मनाते हैं।

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