Patna : बिहार के सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण अपडेट सामने आया है। बिहार शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के जिला स्तर पर स्थानांतरण की प्रक्रिया को अंतिम रूप दे दिया है। विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, शिक्षकों का ट्रांसफर 14 से 18 सितंबर 2025 तक किया जाएगा। इस प्रक्रिया को सुचारू और पारदर्शी बनाने के लिए ऑनलाइन आवेदन 5 सितंबर 2025 से शुरू होंगे। यह कदम शिक्षकों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को पूरा करने और शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया है।
आवेदन ई-शिक्षाकोष पोर्टल के माध्यम से जमा करने होंगे
शिक्षा विभाग ने इस बार स्थानांतरण प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल करने का फैसला किया है। शिक्षकों को अपने आवेदन ई-शिक्षाकोष पोर्टल के माध्यम से जमा करने होंगे। ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया 5 सितंबर से शुरू होकर 13 सितंबर 2025 तक चलेगी। इस दौरान शिक्षक अपनी पसंद के 10 अनुमंडल (पुरुष शिक्षकों के लिए) या 10 पंचायत (महिला और दिव्यांग शिक्षकों के लिए) चुन सकेंगे। आवेदन के साथ जरूरी दस्तावेज, जैसे मेडिकल सर्टिफिकेट, पारिवारिक स्थिति से संबंधित प्रमाण, या अन्य आवश्यक कागजात, अपलोड करने होंगे।
शिक्षकों को नए स्कूल में कार्यभार ग्रहण करने के लिए 7 दिन का दिया जाएगा समय
यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी। स्थानांतरण के लिए स्कूलों की रैंकिंग (A, B, C, D) के आधार पर प्राथमिकता तय की जाएगी। इसका उद्देश्य उन स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति करना है जहां उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि शिक्षक-छात्र अनुपात संतुलित रहे। स्थानांतरण आदेश 14 से 18 सितंबर तक जारी किए जाएंगे और शिक्षकों को नए स्कूल में कार्यभार ग्रहण करने के लिए 7 दिन का समय दिया जाएगा।
इस प्रक्रिया में कुछ शर्तें भी लागू की गई हैं। जिन शिक्षकों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई लंबित है या जिनके वेतन और अन्य दायित्वों का निपटारा नहीं हुआ है, उनके आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा। शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों (DEO) को निर्देश दिया है कि वे आवेदनों की जांच सावधानीपूर्वक करें और स्थानांतरण आदेश एक कार्यदिवस के भीतर जारी करें।
शिक्षक संगठनों ने इस कदम का स्वागत किया है, लेकिन कुछ ने पारदर्शिता और निष्पक्षता पर जोर दिया है। सोशल मीडिया पर शिक्षकों ने इस प्रक्रिया को लेकर उत्साह दिखाया है, लेकिन कई ने यह भी मांग की है कि तकनीकी समस्याओं से बचने के लिए पोर्टल को पूरी तरह तैयार रखा जाए। यह प्रक्रिया न केवल शिक्षकों की व्यक्तिगत सुविधा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में भी मददगार साबित होगी। सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि यह प्रक्रिया कितनी प्रभावी और निष्पक्ष रहती है।
ताजा ब्रेकिंग न्यूज़ और अपडेट्स के लिए जुड़े रहिए दर्श न्यूज़ के साथ, यह भी पढ़े :