भागलपुर: बिहार के भागलपुर से एक दिल को छू लेने वाली खबर सामने आई है, जहाँ एक पति ने सामाजिक दबाव में आकर अपनी ही जीवित पत्नी का अंतिम संस्कार कर दिया था। लेकिन एक कर्तव्यनिष्ठ पुलिसकर्मी की कोशिशों से सात महीने से बिछड़ा यह जोड़ा फिर से एक हो सका। यह कहानी साबित करती है कि इंसानियत और लगन से हर मुश्किल काम को आसान बनाया जा सकता है।
चमत्कार से कम नहीं मिलन, जब कांस्टेबल के प्रयास से जिंदा हो उठी 'मृत' पत्नी
यह कहानी है बांका जिले के नवादा थाना क्षेत्र के कोतवाली गाँव के रहने वाले सत्यनारायण सिंह और उनकी पत्नी गुड़िया देवी की। गुड़िया देवी सात महीने पहले अचानक लापता हो गईं। तमाम तलाश के बाद भी जब वह नहीं मिलीं, तो गांववालों के तानों से तंग आकर सत्यनारायण ने अपनी पत्नी का श्राद्ध कर्म कर दिया। उन्हें लगा कि अब उनकी पत्नी इस दुनिया में नहीं हैं।
संतान नही होने पर सत्यनारायण की थी दूसरी शादी
सत्यनारायण और गुड़िया की शादी वर्ष 2008 मे हुई थी, लेकिन दम्पति जीवन मे कोई संतान नही होने पर दोनों की परिवार की राजी खुशी से सत्यनारायण ने दूसरी शादी कर ली, और दो बच्चे भी,इसके बाबजूद भी सत्यनारायण अपनी पत्नी गुड़िया को हमेशा साथ रखती थी, अचानक सात माह पहले गुड़िया लापता हो गईं, गुड़िया ने बताया की वे घर से बाजार गई थी, इसी बीच उसे चककर आने पर गिर गईं और जख्मी हो गईं, जिसके बाद भागलपुर कैसे पहुंची याद नही हैं, लेकिन उसे लावारिस हालत मे बेसुध पड़े हुए पुलिस कर्मी ने अस्पताल मे पहुंचाया और उसका इलाज करवाया,और पति से मिलवाने को लेकर पुलिस कर्मी को धन्यवाद दी हैं।
पुलिस का फर्ज: जब कांस्टेबल धनंजय ने घायल महिला को दिया नया जीवन
इसी बीच, भागलपुर यातायात पुलिस में कांस्टेबल के पद पर तैनात धनंजय कुमार को गुड़िया देवी घायल अवस्था में भागलपुर मे मिलीं। उन्होंने तुरंत मानवता का परिचय देते हुए उन्हें भागलपुर के अस्पताल में भर्ती कराया। जहां जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल मे लगभग चालीस दिनों तक भर्ती रहने के दौरान, धनंजय कुमार ने गुड़िया देवी की जानकारी सोशल मीडिया पर भी साझा की।
खुशी के आँसू: वायरल वीडियो ने दिलाया बिछड़े परिवार को न्याय
यह वीडियो तेजी से वायरल हुआ और सत्यनारायण कुमार तक पहुँचा। वीडियो देखते ही उन्होंने अपनी पत्नी गुड़िया को पहचान लिया और तुरंत अस्पताल पहुँचे। वहाँ, कांस्टेबल धनंजय कुमार के सामने दोनों पति-पत्नी का मिलन हुआ। यह पल इतना भावुक था कि दोनों की आँखों से खुशी के आँसू बह निकले। सत्यनारायण ने कहा कि यह दुनिया की सबसे बड़ी खुशी है। कांस्टेबल धनंजय ने भी कहा कि जब किसी बिछड़े हुए परिवार को फिर से मिलाया जाता है, तो उससे बड़ी कोई संपत्ति नहीं होती।