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केके पाठक के कुछ अहम फैसले जिससे सरकार की भी हुई किरकिरी....

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शिक्षा विभाग के कड़क एसीएस केके पाठक चर्चे से बाहर आने का तो नाम ही नहीं ले रहे हैं. फरमानों और आदेशों के कारण केके पाठक ने शिक्षकों से लेकर अधिकारियों तक हड़कंप मचा हुआ है. अभी हाल के ही आदेश की बात करें तो ईद और रामनवमी के मौके पर छुट्टी का मामला गरमाया हुआ है. पहले पत्र जारी कर सरकार की ओर से ईद और रामनवमी पर छुट्टी की सहमति दे दी जाती है. लेकिन, ठीक एक दिन बाद उस पत्र को शिक्षा विभाग के द्वारा फर्जी करार दे दिया जाता है. वहीं, शिक्षा विभाग की इन गतिविधियों की वजह से शिक्षक से लेकर बच्चे असमंजस में रहते हैं.  

छुट्टी के कारण हुए विवाद

लेकिन, यहां गौर करने वाली बात यह है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ बल्कि इससे पहले भी ऐसा हो चुका है, जब केके पाठक के फैसलों से सरकार की किरकिरी हुई है. इस बीच केके पाठक के पिछले दिनों के कुछ आदेशों से रुबरु कराते हैं, जब उनके आदेशों की वजह से सरकार भी घिरी है. केके पाठक का एक ऐसा ही फैसला था शिक्षकों की छुट्टी को लेकर. दरअसल, उन्होंने नियम बना दिया कि, बिना लिखित आवेदन किसी को छुट्टी नहीं दी जाएगी. यानी कि, साफ तौर कहा गया था कि, व्हाट्सएप के जरिये दिए गए छुट्टी के लिए एप्लीकेशन को मंजूर नहीं किया जायेगा. इसके लिए स्कूल में आकर हर हाल में छुट्टी का लिखित आवेदन देना पड़ेगा. वहीं, इस फैसले के बाद शिक्षकों ने जमकर विरोध किया. जिसके बाद हाल ऐसा हो गया था कि, बात सीएम नीतीश कुमार तक पहुंच गई थी.

राजभवन से भी लिया पंगा

एक अन्य फैसले की बात करें तो, केके पाठक के फैसले के कारण राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच ही तनातनी हो गई, जो कि अब तक थमने का नाम नहीं ले रही है. दरअसल, केके पाठक ने राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक बुला ली. लकिन, बैठक में न आने पर कुलपतियों का वेतन रोकने और विश्वविद्यालयों के फंड फ्रीज करने तक का आदेश दे दिया गया. इसके बाद राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर इस फैसले से नाराज हो गए. इसके बाद इस फैसले के एक हिस्से को बिहार शिक्षा विभाग को वापस लेना पड़ा. 

पूर्व शिक्षा मंत्री से भी किरकिरी

बात करें तीसरे फैसले की तो, ये उस समय की बात है जब बिहार में महागठबंधन की सरकार थी और शिक्षा मंत्री राजद कोटे के चंद्रशेखर यादव थे. इसी बीच मंत्री चंद्रशेखर के आप्त सचिव ने शिक्षा विभाग के नाम एक चिट्ठी लिख दी. ये चिट्ठी एक पीत पत्र थी. इसके बाद केके पाठक गरम हो गए और उन्होंने तत्कालीन शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के आप्त सचिव ने उनके डॉक्टर की उपाधि का ही सबूत मांग लिया.

डीएम से भी भिड़ गए थे

एक समय यह भी आया कि, केके पाठक की अनबन डीएम से भी हुई. दरअसल, बिहार में साल 2023-24 की सर्दी के महीने में पटना के तत्कालीन डीएम चंद्रशेखर सिंह ने धारा 144 का इस्तेमाल करते हुए स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया. इसके बाद तो केके पाठक चंद्रशेखर सिंह से ही भिड़ गए. उन्होंने पटना डीएम को एक जवाबी चिट्ठी लिखी और धारा 144 के प्रयोग पर आपत्ति उठा दी. लेकिन, पटना के तत्कालीन डीएम चंद्रशेखर सिंह झुके नहीं और अपने आदेश पर डटे रहे. आखिर में किसी तरह मामले का निपटारा हुआ. इस दौरान भी शिक्षा विभाग खूब सुर्खियों में छाया हुआ था. 

खुद सीएम नीतीश ने किया था हस्तक्षेप

आखिर में बात करेंगे उस फैसले की जब खुद नीतीश कुमार को स्कूल की टाइमिंग को लेकर हस्तक्षेप करना पड़ा. दरअसल, केके पाठक ने अपना एक आदेश और दिया था. जिसके मुताबिक, स्कूलों में समय को 9 से 5 कर दिया गया. इसके बाद शिक्षकों में इस फैसले को लेकर आक्रोश पनप गया. मामला नेताओं तक पहुंचा, विधानसभा में भी मुद्दा उठा और फिर सीएम नीतीश तक. उस वक्त सीएम नीतीश कुमार बीजेपी के साथ NDA की सरकार बना चुके थे. जब सदन में पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और राजद के सदस्यों ने केके पाठक के विरोध में सवाल उठाए तो सीएम नीतीश ने विधानसभा में ही केके पाठक के फैसले को पलट स्कूलों का समय 10 से 4 कर दिया. तो कुल मिलाकर देखा जाए तो केके पाठक लगातार चर्चे में हैं और उनके फरमानों ने हलचल भी तेज है.

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