लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की सियासत में गजब की हलचल देखने के लिए मिल रही है. देखते ही देखते सत्ता में परिवर्तन हो गया और फ्लोर टेस्ट के दिन से ही महागठबंधन में पूरी तरह से हड़कंप मच गया है. इसी क्रम में बीते मंगलवार को बिहार में खेल करने का दावा करने वाले पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ महागठबंधन पर 15 दिनों में डबल अटैक हुआ. बिहार की सियासत बड़ा फेरबदल हुआ. जिसके चर्चे अब भी सुर्खियों में हैं. मंगलवार को कांग्रेस के दो विधायक सिद्धार्थ सौरव और मुरारी गौतम के अलावा आरजेडी की विधायक संगीता देवी ने अपनी पार्टी का साथ छोड़ दिया और एनडीए खेमे में ये लोग शामिल हो गए.
एनडीए के लिए 3 नंबर लकी
ऐसे में एक तरफ जहां महागठबंधन को झटका लग रहा है तो वहीं दूसरी ओर बिहार में एनडीए के लिए 3 लकी नंबर साबित हो रहा है. अब आप भी सोच रहे होंगे कि, कैसे ? तो हम आपको विस्तार से बताते हैं... जैसा कि आप सभी जान रहे कि बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इन दिनों अपनी जन विश्वास यात्रा को लेकर विभिन्न जिलों का दौरा कर रहे हैं. उनकी यात्रा में समर्थकों की अपार भीड़ रात के 2 बजे भी उमड़ जा रही है. तो ऐसे में एक तरफ जहां वह लोगों का विश्वास जीतने निकले हैं तो वहीं दूसरी ओर उनके अपने ही उन्हें धोखा दे रहे हैं.
12 फरवरी को हुआ था खेला
कुछ दिनों पहले के राजनीतिक स्थितियों पर नजर डालें तो, 12 फरवरी को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होना था. उस वक्त तेजस्वी यादव सहित आरजेडी के कई नेताओं ने यह दावा किया था कि खेल होगा और सरकार गिर जाएगी. हालांकि, खेल तो जरुर ही हुआ लेकिन झटका तेजस्वी यादव को लगा. उस दिन आरजेडी के तीन विधायकों ने पार्टी का दामन छोड़ दिया. इन तीन विधायकों में चेतन आनंद, नीलम देवी और प्रहलाद यादव थे. फ्लोर टेस्ट के दौरान ये सभी तीन विधायक सत्ता पक्ष के खेमे में आकर बैठ गए थे. ये तो हो गई 12 फरवरी की बात. लेकिन, बीते मंगलवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ. महागठबंधन के तीन विधायकों ने अपनी पार्टी का साथ छोड़ दिया. उन तीन विधायकों में सिद्धार्थ सौरव, मुरारी गौतम और संगीता देवी शामिल हैं.
पहले से थी टूट की चर्चा
वहीं, इस टूट को लेकर कहा जा रहा कि, कांग्रेस के दो विधायक तो टूटे हैं लेकिन इसकी चर्चा पहले से चल रही थी. विक्रम विधायक सिद्धार्थ सौरव की नाराजगी पहले ही सामने आई थी. 28 जनवरी को पूर्णिया में राहुल गांधी की न्याय यात्रा को लेकर विधायकों की बैठक हो रही थी उसमें सिद्धार्थ सौरव नहीं पहुंचे थे. इसके बाद कांग्रेस को भनक लग गई थी और सभी 19 विधायकों को हैदराबाद जाने के लिए कहा गया था. इसमें भी बड़ी बात यह है कि, 16 विधायक तो हैदराबाद गए थे लेकिन तीन विधायक नहीं पहुंचे थे. उनमें सिद्धार्थ सौरव भी शामिल थे. हालांकि फ्लोर टेस्ट के दौरान सिद्धार्थ सौरव ने पाला नहीं बदला था. लेकिन, अब उनका क्लियर स्टैंड सामने आ गया है. इधर, राजनीतिक गलियारों की मानें तो कांग्रेस एक बड़ी टूट के कगार पर खड़ी है, ऐसी चर्चा पहले से ही हो रही थी. हालांकि, बीजेपी का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रवाद नीति और भाजपा के बढ़ते जनाधार को देखते हुए महागठबंधन के तीन विधायक भगवा के साथ आ गए हैं.
आखिर क्या रही महागठबंधन छोड़ने की वजह
इधर, विधायकों के द्वारा पार्टी छोड़ने को लेकर अब सवाल किए जा रहे हैं कि, आखिर पार्टी से बगावत करने वाले विधायकों को यह कदम उठाने की जरुरत क्या पड़ गई. इसके जवाब में कई तरह की संभावनाएं जताई जा रही है. बता दें कि, राजद की संगीता कुमारी कैमूर जिले की मोहनिया से विधायक हैं, जबकि सिद्धार्थ सौरव पटना के विक्रम सीट से और मुरारी गौतम कैमूर के चेनारी सीट से विधायक हैं. अब इस 'खेला' की असलियत तो बाद में पता चलेगा लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसका आधार प्रलोभन माना जा रहा है. इसके अलावे संभावनाएं जताई जा रही है कि, उन्हें विधायकी नहीं जाने का आश्वासन मिला होगा या एमएलसी बनाने का वादा किया गया होगा या फिर लोकसभा चुनाव लड़ने के आश्वासन मिले होंगे. इसके अलावे यह भी संभावना है कि, किसी सगे-संबंधी को एमएलसी बनाने का भरोसा मिला होगा. खैर, क्या वजह रही यह स्पष्ट नहीं कहा जा सकता.