हाय रे बिहार की स्वास्थय व्यवस्था, सुशासन के राज में मोबाइल और टॉर्च की रौशनी में हो रहा ईलाज, बेहतरी के लिए चलाया गया था मिशन 60, सब धरातल पर हो गया फेल, भतीजे ने चाचा को मारी गोली, गंभीर अवस्था में परिजनों ने लाया त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल, डॉक्टरों ने मोबाइल के टॉर्च की रोशनी में किया ईलाज.
सुपौल से इस वक्त की बड़ी खबर सामने आ रही है .जहां एक गोलीकांड पीड़ित का अस्पताल में बिजली नहीं रहने की वजह से टॉर्च की रौशनी में ईलाज किया गया. जबकि बिहार की स्वास्थ व्यवस्था. मिशन 60 चलाकर बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था देने का दावा करती है.
दरअसल, जदिया वार्ड नम्बर 14 में महिलाओं के आपसी विवाद में भतीजे ने चाचा को गोली मारकर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया. जख्मी चाचा को परिजनों द्वारा त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल लाया गया. जहां ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉ.बीएन पासवान द्वारा प्राथमिक उपचार कर बेहतर ईलाज के लिए हायर सेंटर रेफर कर दिया गया. लेकिन इस दौरान अनुमंडलीय अस्पताल से एक शर्मनाक तस्वीर सामने आई, जहां घायल व्यक्ति का उपचार सरकारी अस्पताल में मोबाइल के टॉर्च की रोशनी में किया गया, जिस वक्त घायल मरीज का उपचार चल रहा था उस वक्त बिजली नहीं थी और समस्या ज्यादा गंभीर थी. तब जेनरेटर की व्यवस्था नहीं रहने की वजह से पुलिस के वरीय अधिकारियों की मौजूदगी में मोबाइल की रोशनी से उसका उपचार किया गया.
इस बाबत अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबंधक नीरज चौधरी ने बताया कि सब एनजीओ का प्रॉब्लम है.....बार-बार इस तरह की बात होती है, बार-बार एनजीओ को लेटर दिया गया है, एसडीओ साहब को भी प्रतिलिपि दी गई है बावजूद इसके एनजीओ पर कोई कार्यवाई नहीं होती है.