सुप्रीम कोर्ट बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह के केस में आज सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ये सुनवाई आनंद मोहन को समय से पहले रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर करेगा. ये याचिका मारे गए आईएएस अधिकारी और तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की विधवा ने दायर की है. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित वाद सूची के अनुसार, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की पीठ इस मामले में बिहार सरकार की ओर से दायर जवाब पर सुनवाई करेगी.
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर अपने जवाबी हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा कि संशोधन, जिसमें कथित तौर पर गैंगस्टर से नेता बने की शीघ्र रिहाई का सम्मान किया गया था, पीड़ित की स्थिति के आधार पर भेदभाव दूर करने की मांग की गई थी. कहा गया है कि 'आम जनता या लोक सेवक की हत्या की सजा एक समान है. एक ओर, आम जनता की हत्या के दोषी आजीवन कारावास की सजा पाने वाले कैदी को समय से पहले रिहाई के लिए पात्र माना जाता है और दूसरी ओर, किसी लोक सेवक की हत्या के दोषी आजीवन कारावास की सजा पाने वाले कैदी को समय से पहले रिहाई का पात्र नहीं माना जाता.'
आनंद मोहन के केस में आज सुनवाई
इससे पहले सुप्रीम ने जी. कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया था और बिहार सरकार को पूर्व सांसद को दी गई छूट के संबंध में मूल रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया था. बिहार जेल नियमावली में संशोधन के बाद आनंद मोहन सिंह को सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया. याचिका में आरोप लगाया गया कि बिहार सरकार ने 10 अप्रैल, 2023 के संशोधन के जरिए पूर्वव्यापी प्रभाव से बिहार जेल मैनुअल, 2012 में संशोधन किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोषी आनंद मोहन को छूट का लाभ दिया जाए.
मारे गए आईएएस की विधवा ने दायर की है याचिका
1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट कृष्णैया को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था, जब उनकी गाड़ी ने गैंगस्टर छोटन शुक्ला के अंतिम संस्कार के जुलूस से आगे निकलने की कोशिश की थी. आरोप है कि भीड़ को आनंद मोहन सिंह ने उकसाया था. जी कृष्णैया के शव पर गोलियों के भी निशान मिले थे. इसी मामले में बिहार सरकार ने आनंद मोहन को नियम बदल कर रिहा कर दिया.