उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित ताजमहल को उसकी संगमरमरी खूबसूरती के कारण ही दुनिया के सात अजूबों में शामिल किया गया है. लेकिन, ताज की खूबसूरती पर गोल्डीकाइरोनोमस कीट का खतरा पिछले 9 वर्षों में लगातार बढ़ता जा रहा है. इससे निपटने के लिए एएसआई की रसायन शाखा में स्टडी की जा रही है. यमुना नदी में पनप रहे ये कीट लाखों-करोड़ों की संख्या में ताजमहल पर हमला करते हैं. करीब 2 दिनों तक ये कीट जीवित रहते हैं. अपने मल और पैरों में यमुना की कीचड़ लिए ताजमजल के संगमरमरी हुस्न बदनुमां बना रहे हैं. इन कीटों के हमले से ताजमहल की सफेद दीवारें हरी और भद्दे रंग में बदल रही हैं.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रसायन शाखा के निदेशक रहे डॉ. एमके भटनागर ने बताया कि गोल्डी काइरोनोमस बहुत सूक्ष्य कीट होता है. इसे खुली आंखों से आसानी से नहीं देखा जा सकता है. वर्ष 2015 में गोल्डीकाइरोनोमस कीट का प्रकोप पहली बार देखा गया. ये कीट यमुना में पानी का स्तर कम होना और प्रदूषण के बढने से पनपता है. ये अप्रैल से अक्टूबर के बीच पनपते हैं. मादा काइरोनोमस एक बार में एक हजार से अधिक अंडे देती है. ताजमहल की उत्तरी दिशा में यमुना नदी है. वहां से ये कीट उठते हैं और ताजमहल की संगमरमरी दीवारों पर छिपक जाते हैं. फिलहाल दीवारों को साफ पानी से धुलकर कपड़े से पौंछा जा रहा है. ये प्रक्रिया निरंतर जारी रहती है.
तापमान कम होने पर घटती है प्रजनन क्षमता
नालों से आ रहे सीवर के पानी से यमुना में कीचड़ और गंदगी पसर गई है. ताजमहल के पीछे यमुना नदी में पानी की मात्रा कम है. इसके चलते दलदल जैसे हालत बने हुए हैं. इसी गंदगी और नदी के पानी के फास्फोरस ने गोल्डीकाइरोनोमस कीट पनपता है. कीट से निपटने के लिए एएसआई की रसायन शाखा शोध कर रही है. काईरोनोमस कीट यमुना में प्रदूषण होने और 30- 40 डिग्री से अधिक तापमान रहने पर पनपते हैं. प्यूमा और लार्वा से करीब 28 दिनों के अंतराल में ये पूरा कीड़ा बनता है. इनका जीवनचक्र अप्रैल से अक्टूबर तक रहता है.
रसायन शाखा में कीड़ों पर स्टडी
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सुप्रीटेंडेंट राजकुमार पटेल ने बताया कि गोल्डीकाइरोनोमस कीट के समाधान के लिए रसायन शाखा में स्टडी चल रही है। इसे पूरा करने में एक वर्ष का समय लग सकता है। तापमान कम होने पर कीड़े का खतरा कम रहता है। ताजमहल यमुना नदी के किनारे बना हुआ है. गोल्डीकाइरोनोमस कम ऊंचाई पर उड़ते हैं. यही कारण है कि ये ताजमहल की दीवारों पर जाकर चिपक जाते हैं। इससे संगमरमर के पत्थरों पर हरे और काले रंग के धब्बे बन जाते हैं। इससे निपटने की योजना पर काम चल रहा है.