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वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की बैठक से तेजप्रताप ने किया किनारा, खाली रही कुर्सी

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 1 अणे मार्ग स्थित 'संकल्प' में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की समीक्षा की और वृक्षारोपण अभियान की तैयारियों की विस्तृत जानकारी ली. इस बैठक में तमाम अधिकारी शामिल हुए थे लेकिन विभाग के मंत्री तेजप्रताप यादव ही बैठक से गायब दिखे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बगल में मंत्री तेजप्रताप यादव के लिए जो कुर्सी लगी हुई थी, वह कुर्सी खाली की खाली रह गई. तेजप्रताप यादव बैठक में नहीं पहुंचे. जिसके बाद अब सियासत में यह मुद्दा चर्चे में है. वहीं, दूसरी तरफ बैठक में शामिल नहीं होने को लेकर तेजप्रताप यादव का किसी तरह का बयान सामने नहीं आया है.

हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सभी अधिकारियों के साथ और विभाग के मंत्री तेजप्रताप यादव के बिना ही बैठक की. इस दौरान बैठक में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के कार्यों की अद्यतन स्थिति की जानकारी दी. साथ ही वृक्षारोपण की उत्तरजीविता, पौधशालाओं में पौधों की उपलब्धता, मुख्यमंत्री निजी पौधशाला योजना की विशेषताएं कृषि वानिकी योजना की विशेषताएं तथा वर्ष 2023-24 में वृक्षारोपण अभियान की तैयारियों के संबंध में उन्होंने विस्तृत जानकारी दी.

समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की बड़ी भूमिका है. विभाग नीतियों एवं प्राथमिकताओं के आधार पर बेहतर ढंग से कार्य करें और लक्ष्य के अनुरूप और तेजी से पौधारोपण कराएं. पौधारोपण के लिए जो कार्ययोजना बनाई गई है, उसको ठीक ढंग से कार्यान्वित करें. पहाड़ी क्षेत्र के निचले भागों में जल संग्रहण के लिए जो जगह बनायी गयी हैं, उन जगहों पर भी पौधारोपण कराएं. उन्होंने कहा कि, जो पौधे पहले से लगाए गए हैं उनके सर्वाइवल के लिए सभी जरूरी उपाय करें. सरकारी भवनों के परिसर में भी जितना संभव हो पौधारोपण कराएं. नहर एवं नदी के किनारे पौधारोपण कार्य में तेजी लाएं. सड़क किनारे भी लक्ष्य के अनुरूप तेजी से पौधारोपण कराएं. सभी जिलों में पौधारोपण गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अधिक-से-अधिक लोगों को जोड़ें और पौधारोपण के लक्ष्य को प्राप्त करें.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि, बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद राज्य का हरित आवरण क्षेत्र 9 प्रतिशत रह गया था. वर्ष 2012 में हरियाली मिशन की शुरुआत की गई. 24 करोड़ पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें 22 करोड़ पौधे लगाए गए. बड़ी संख्या में पौधारोपण किए जाने से राज्य का हरित आवरण क्षेत्र 15 प्रतिशत तक पहुंच गया. राज्य का हरित आवरण क्षेत्र कम-से-कम 17 प्रतिशत तक हो जाए इसके लिए तेजी से पौधारोपण कराएं. वर्ष 2019 में जल- जीवन -हरियाली अभियान की शुरुआत की गई, जिसमें हरियाली को बढ़ावा देने के लिए तथा जल संरक्षण के लिए योजनाबद्ध ढंग से काम किये जा रहे हैं. राजगीर, गया और अन्य पर्वतीय क्षेत्रों में पौधारोपण के लिए बीज डाले गए, जिससे वहां वृक्षों की संख्या बढ़ी और क्षेत्र हरा-भरा दिखता है. उन्होंने कहा कि, बिहार में इको-टूरिज्म के विकास के लिए कई कार्य किए गए हैं. कई आकर्षक स्थलों को पर्यटक केंद्र के रूप में विकसित किया गया है. हमने कई जगहों का भ्रमण कर वहां की व्यवस्थाओं को देखा है.

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