बिहार में शिक्षकों के मुद्दे पर बीजेपी की सियासत मुखर हो गई है. बीजेपी ने शिक्षकों के मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए विधानसभा मार्च किया. लाठीचार्ज में एक कार्यकर्ता की मौत हो गई. पूरे बिहार भर से शिक्षक इस लाठीचार्ज की आलोचना कर रहे हैं. उधर, तेजस्वी यादव अलग तरह की राग अलाप रहे हैं.
भाजपा जहां शिक्षकों के मुद्दे और महागठबंधन के 10 लाख नौकरी देने के वादे पर हिसाब मांग रही है. वहीं, राजद के नेता और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि इस विधानसभा मार्च में एक भी शिक्षक शामिल नहीं थे, भाजपा बेकार में हुडदंग कर रही है. तेजस्वी यादव ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए विधानसभा मार्च में शिक्षकों के शामिल नहीं होने को मुद्दा बनाया. हालांकि सियासी जानकार मानते हैं कि बीजेपी के पक्ष में शिक्षकों की सहानुभूति है. बीजेपी ने इस मार्च के जरिए शिक्षकों को तगड़ा सियासी संदेश दे दिया है कि पार्टी उनके समर्थन में है.
तेजस्वी यादव ने भाजपा की मांग पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही कह दिया था, हम लोग भी कह रहे हैं कि सदन खत्म होने के बाद इस मामले पर शिक्षक नेताओं से बातचीत होगी. इसके बाद तो यह बात पहले ही स्पष्ट हो चुकी है. उन्होंने आगे कहा कि ये लोग 10 लाख रोजगार मांग रहे हैं. उन्हें यह बताना चाहिए कि देश में कौन सा ऐसा राज्य है, जहां 3 लाख से भी ज्यादा सरकारी नौकरी के लिए विज्ञापन निकाली गई है. उन्होंने यह भी कहा कि पहले इन्हें दो करोड़ नौकरी और महंगाई का हिसाब देना चाहिए.
तेजस्वी ने वादा करते हुए कहा कि इस सरकार में रहते हम 10 लाख नौकरी देने का लक्ष्य तो पूरा कर ही लेंगे. लेकिन, भाजपा के लोग पहले दो करोड़ नौकरी का हिसाब दें और देश में जो महंगाई है, उसका हिसाब दें. उन्होंने यह भी कहा कि पहले तो यही लोग थे, बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी है तब न शिक्षकों की बहाली निकाली गई. शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जा रहा है. इससे पहले भाजपा के विधानसभा मार्च पर पुलिस ने जमकर लाठियां भांजी, जिसमें एमपी, एमएलए सहित कई कार्यकर्ता को चोट आई है.