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बिहार के इन शिक्षकों की नौकरी दांव पर लगी, शिक्षा विभाग के स्तर से शुरु की गई कार्रवाई

The jobs of these teachers of Bihar are at stake, action sta

बिहार में शिक्षक और शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक आए दिन चर्चे में बने रहते हैं. शिक्षकों की ओर से कई बार केके पाठक का विरोध करते हुए देखा गया है. इसी क्रम में एक बार फिर से शिक्षकों के बीच हड़कंप मच गया है. दरअसल, कई ऐसे शिक्षक हैं जिनकी नौकरी पर खतरा मंडराने लगा है. यानि कि कभी भी इनके हाथ से नौकरी जा सकती है. वहीं, अब तो इन्हें भविष्य की चिंता भी सताने लगी है. क्या कुछ पूरा मामला है, आपको विस्तार से बताते हैं... दरअसल, कुछ ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें लेकर पटना हाईकोर्ट की ओर से फैसला सुनाया गया है और अब तो शिक्षा विभाग के स्तर से कार्रवाई भी की जा रही है.  

खोज में जुटा शिक्षा विभाग 

बताया जा रहा है कि, शिक्षा विभाग की ओर से वैसे शिक्षकों की खोजबीन की जा रही है जो अप्रशिक्षित हैं. वहीं, हाईकोर्ट के फैसले की बात करें तो, ये उन शिक्षको से जुड़ी है जिनकी बहाली 31 मार्च 2015 के बाद हुई थी. बता दें कि, ऐसे शिक्षकों के दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई कर फैसला सुनाया है. 31 मार्च 2015 के बाद बहाल हुए अप्रशिक्षित शिक्षकों के नियोजन को अमान्य करार दिया गया है. इस फैसले के बाद 2015 के बाद बहाल हुए अप्रशिक्षित शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है. इधर, पटना हाईकोर्ट के द्वारा जो फैसला सुनाया गया है, उसके बाद शिक्षा विभाग की ओर से इन सभी शिक्षकों की जांच पड़ताल करनी शुरु कर दी है.     

गोपालगंज से आया था मामला

मामला गोपालगंज से सामने आया है जहां, गोपालगंज डीपीओ, स्थापना ने सभी बीईओ से 31 मार्च 2015 के बाद स्थानीय निकाय से नियुक्त सभी शिक्षकों डिटेल्स मांगा है, ताकि हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में आगे की कार्रवाई की जा सके. गौरतलब है कि, केंद्र सरकार के स्तर से एक अप्रैल 10 को 'शिक्षा का अधिकार' कानून लागू किया. बिहार में यह कानून 31 मार्च 2015 को लागू हुआ था, जिसमें प्रशिक्षित शिक्षकों को ही सेवा में रखने की बात कही गई थी. हालांकि, शिक्षकों के अपील के बाद कोर्ट ने शिक्षकों को राहत देते 31 मार्च 2019 तक प्रशिक्षण पूरा कर लेने का आदेश दिया था. इसके बाद भी बहुत शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त नहीं कर सके, जो अब इनके लिए परेशानी का सबब बन गया है.

बीईओ से मांगा गया है ब्योरा

इस बीच यह भी जानकारी दे दें कि, मामले को लेकर अताउर रहमान और अन्य ने एक वाद दायर किया था, जिसकी सुनवाई कर हाईकोर्ट ने प्रशिक्षण पूरा नहीं करने वाले शिक्षकों को सेवामुक्त करने का आदेश दिया है. ऐसे शिक्षकों की संख्या जिले में 200 से अधिक बताई गई है. हालांकि, कहा यह भी गया है कि, अभी पूरा क्लियर डाटा नहीं मिल सका है. शिक्षा विभाग भी डाटा जुटाने में लगा है. गौरतलब है कि, एकल बेंच के फैसले के विरूद्ध ये शिक्षक डबल बेंच में अपील किए थे, वहां से भी उन्हें निराशा हाथ लगी है. हाईकोर्ट के फैसले के बाद अप्रशिक्षित शिक्षकों का विवरण तैयार किया जा रहा है. सभी बीईओ को एक प्रारूप भेजकर उसी में उनका पूरा ब्योरा मांगा गया है. देखने वाली बात होगी कि, आखिरकार इन शिक्षकों का क्या होगा, क्या इनकी नौकरी रह पाती है या फिर नहीं.

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