नेपाल में भूकंप के आने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. जिसके बाद से नेपाल से सटे देशों के लोगों के बीच डर पैदा हो गया है. दो दिन पहले ही नेपाल में आये भूकंप का भारत में असर देखने के लिए मिला था. दिल्ली एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में भूकंप के तेज झटके महसूस किये गए. लोग अपने-अपने घर से बाहर निकल गए थे. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.4 मापी गई थी. वहीं, नेपाल में इसका गहरा असर देखने के लिए मिला था. इस बीच नेपाल में लगातार भूकंप के झटके महसूस किये जा रहे हैं. आज सुबह-सुबह भी नेपाल की धरती हिली, जिसकी तीव्रता 3.6 मापी गई.
दो से तीन दिन तक लगेंगे झटके
बता दें कि, नेपाल में 3 नंवबर की रात आए भूकंप से वहां 157 लोगों की मौत हो गई है तो वहीं शनिवार रात को एक बार फिर 4.6 तीव्रता का भूकंप आया. हालांकि, आगे के कुछ दिनों को लेकर कहा जा रहा कि, ये भूकंप ऑफ्टर शॉक बताए जा रहे हैं. असल में एक बड़े भूकंप के बाद कई छोटे-छोटे भूकंपीय झटके लगते हैं. ये झटके दो से तीन दिन तक लग सकते हैं. बता दें कि, राष्ट्रीय भूकंप निगरानी केंद्र के शनिवार को आए भूकंप का केंद्र रामिदंडा था. यह झटका शुक्रवार रात आए भूकंप का आफ्टरशॉक था.
अफगानिस्तान में भी महसूस हुए झटके
वहीं, अफगानिस्तान में भी रविवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिसकी तीव्रता 4.5 रही. वहीं राष्ट्रीय भूकंपीय निगरानी केंद्र (एनएसएमसी) की माने तो, अभी तक जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है. अफगानिस्तान में भी बीते एक महीने में कई बार भूकंप महसूस किए जा चुके हैं. बीते हफ्ते भी यहां 4.7 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया था. बीते महीने अक्टूबर की शुरुआत हेरात प्रांत में आए 6.3 तीव्रता के भूकंप से 4,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. शक्तिशाली झटकों ने हेरात और आसपास के इलाकों को झकझोर दिया था.
2015 में आया था विनाशकारी भूकंप
दरअसल, शुक्रवार रात को आए भूकंप के बाद से एक बार साल 2015 में 25 अप्रैल के विनाशकारी भूकंप की याद ताजा हो गई है, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे. 25 अप्रैल 2015 में नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप को गोरखा नाम दिया गया था, जिसमें करीब 9000 लोगों की मौत हुई थी और 22 हजार लोग घायल हो गए थे. 25 अप्रैल, 2015 को मध्य नेपाल में काठमांडू शहर के पास यह भूकंप आया था. साल 2015 में नेपाल में आए भूकंप का असर भारत, पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश के कुछ इलाकों में भी महसूस किए गए थे. कहा जाता है कि नेपाल में 1934 के बाद से आया यह सबसे भीषण भूकंप था, जब इतनी ही तीव्रता के भूकंप में 17 हजार लोग मारे गए थे.