एक तरफ जहां विज्ञान के कदम चंद्रमा तक पहुंच चुके हैं. तो वहीं कई मौकों पर विज्ञान पर लोगों की आस्था और अंधविश्वास पर भारी पड़ता दिखता है. कार्तिक पूर्णिमा से हाजीपुर में मेले की शुरुआत के साथ गंगा और गंडक के संगम पर भूत मेला इसका जीता जागता उदहारण है. दरअसल, दुनिया का सबसे बड़ा भूतों का मेला हाजीपुर में लगता है. जिसे सुन आप भी हैरान रह जायेंगे. जी हां...भूतों का मेला जहां एक रात में बुलाये जाते है हजारों-लाखों बुरी आत्माओं और भूतों को. बता दें कि, हाजीपुर के कोनहारा घाट जिसे पुराणों में मोक्ष भूमि माना जाता है. पुराण में वर्णन है कि, यही वो स्थान है जहां गज यानी हाथी रूपी अपने भक्त के पुकार पर भगवान विष्णु ने आकर ग्राह का वध कर भक्त को मुक्ति दिलाई थी.
श्रापित गग्राह (घड़ियाल) भगवान के हाथों वध किये जाने से मोक्ष पाया था. तभी से इस जगह को मोक्ष भूमि माना जाता है. माना जाता है कि, इस स्थान पर हर तरह की मुक्ति हासिल हो जाती है. पूर्वी भारत में स्थापित अंधविश्वासों, भूत और बुरी आत्माओं से छुटकारा पाने के लिए ओझा और भूतों को मानने वाले और भूतों से परेशान लोग इस खास दिन का इंतजार करते हैं और यहां आकर अनुष्ठान कर भूतों को अपने ऊपर से भगाते हैं. कार्तिक पूर्णिमा की रात होने वाले विशेष मेले में दूर-दराज के लाखों लोग पहुंचते और शुरू होता है रात भर चलने वाला भूत बुलाने का अनुष्ठान जिसे स्थानीय भाषा में भूत खेली कहते हैं.
कई किलोमीटर के क्षेत्र में फैले इस मेले में आपको दूर-दूर तक हर जगह एक से बढ़ कर एक अनूठे भूत अनुष्ठान देखने को मिल जायेगा. इस मेले में जहां लाखों लोग बुरी आत्माओं से छुटकारा के लिए पहुंचते हैं. भूत को पकड़ने और भगाने का दावा करने वाले ओझा भी इस मेले में बड़ी संख्या में आकर अपनी दुकान लगाते हैं. जगह-जगह सजी ओझाओं की दुकान पर भूत भगाने और उतारने के करतब देख आप बरबस अरेबियन नाइट्स और अलिफ लैला की दुनिया में महसूस करेंगे. कहीं भूत भगाने के लिए महिलाओं के बालों से खींचा जाता है तो कहीं डंडो से पिटाई की जाती है. भूतों के इस अजूबे मेले में आये ओझाओं के दावे भी आपको अजूबे लगेंगे.
हाजीपुर से अभिषेक कुमार की रिपोर्ट