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बिहार पुलिस के दावे और हकीकत में काफी अंतर, स्वीकृत से भी आधा है...

एक तरफ बिहार की सरकार पुलिस के पास हर जरूरी सुविधाएँ उपलब्ध करवाने का दावा करती है तो हकीकत कुछ और ही है. संसाधनों की संख्या स्वीकृत से आधा भी नहीं...

There is a huge difference between the claims and reality of
बिहार पुलिस के दावे और हकीकत में काफी अंतर, स्वीकृत से भी आधा है...- फोटो : Darsh News

पटना: एक तरफ बिहार के मुखिया नीतीश कुमार राज्य में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद करने के लिए अलग अलग दावे करते हुए बिहार पुलिस को हर सुविधा मुहैया करवाने की बात करते हैं तो दूसरी तरफ बिहार पुलिस के अधिकारी खुद ही यह कुबूल करते नजर आ रहे हैं कि उनके पास प्रयाप्त संसाधन अभी उपलब्ध नहीं है। दरअसल ADG CID पारसनाथ ने पत्रकारों से बात करते हुए खुद ही स्वीकार किया कि बिहार पुलिस के पास स्वीकृत डॉग स्क्वाड की संख्या में अभी आधे से भी कम स्क्वाड उपलब्ध हैं जबकि 38 जिलों वाले राज्य में मात्र 17 मोबाइल फॉरेंसिक लैब वैन उपलब्ध हैं। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की तरफ से बिहार पुलिस में 200 स्वान रखने की अनुमति है जिसमें अभी हमारे पास 67 डॉग्स हैं जो ड्यूटी में लगे हैं जबकि 30 डॉग हैदराबाद में ट्रेनिंग कर रहे हैं जो कि अगले वर्ष फरवरी में पास आउट कर ड्यूटी में आयेंगे। उन्होंने जानकारी दी कि अभी हमलोग पंजाब होमगार्ड के डॉग से संबंधित एक संस्थान से 50 और कुत्ते खरीदने की प्रक्रिया कर रहे हैं जो अगले दो से तीन महीने में पूर्ण कर लिए जायेंगे और फिर उसे ट्रेनिंग के लिए भेजा जायेगा। 

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वहीं दूसरी तरफ उन्होंने फॉरेंसिक मोबाइल वैन के संबंध में बताया कि अभी हमारे पास 17 फॉरेंसिक मोबाइल वैन उपलब्ध हैं जो विभिन्न 13 जिलों में तैनात हैं। इसके साथ ही 34 फोरेंसिंक मोबाइल वैन खरीद की प्रक्रिया जारी है जो अगले एक से दो महीने में हमारे पास आ जाएँगी और हम लोग नवम्बर से उसका प्रयोग शुरू कर पाएंगे। बता दें कि देश में नए कानून व्यवस्था लागू होने के बाद से फॉरेंसिक जांच और डिजिटल जांच रिपोर्ट को मान्यता दी गई है और अब हर आपराधिक घटनाओं में फॉरेंसिक जांच अनिवार्य कर दिया गया है ऐसे में बिहार पुलिस के पास आपराधिक घटनाओं की जांच के लिए जरुरी महत्वपूर्ण दो संसाधन की काफी कमी है।

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पटना से चंदन तिवारी की रिपोर्ट

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