बिहार में एक ओर जहां लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा चढा हुआ है तो वहीं दूसरी ओर शिक्षा विभाग भी पूरी तरह से सुर्खियों में बना हुआ है. दरअसल, केके पाठक के ताबड़तोड़ फरमानों के कारण आए दिन वह चर्चे में रहते हैं और शिक्षा विभाग भी सुर्खियों में छाया रहता है. इस बीच खबर नियोजित शिक्षकों को लेकर सामने आई है. बता दें कि, जिन भी नियोजित शिक्षकों ने सक्षमता परीक्षा दिया है, उनके राज्यकर्मी बनने का रास्ता क्लियर हो गया है. लेकिन, यहां मामला फंसा है उन सभी नियोजित शिक्षकों को लेकर जो फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रहे थे.
फर्जी नियोजित शिक्षकों पर खतरा
बता दें कि, जो भी नियोजित शिक्षक फर्जी सर्टिफिकेट के सहारे नौकरी कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. पहले चरण में सक्षमता परीक्षा पास करने वाले 1.87 लाख से अधिक नियोजित शिक्षकों को योगदान करने की तिथि से राज्यकर्मी का दर्जा मिलेगा, वहीं फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी हासिल करने नियोजित शिक्षकों की सेवा समाप्त की जा रही है. इस बीच अपडेट सामने आ गया है कि, शिक्षा विभाग की ओर से राज्य में फर्जी सर्टिफिकेट पर बहाल नियोजित शिक्षकों के बारे में जिलों से रिपोर्ट मांगी गई है. जिलों से आई रिपोर्ट की अब शिक्षा विभाग की ओर से समीक्षा की जाएगी और इसकी जांच की जायेगी कि, 815 फर्जी सर्टिफिकेटधारी शिक्षकों की सेवा अब तक समाप्त की गई या नहीं.
815 नियोजित शिक्षकों पर लटकी तलवार
जानकारी के मुताबिक, जांच के आधार पर निगरानी की ओर से 1,317 एफआईआर दर्ज किए गए थे. इनमें 2,640 लोगों को नामजद किया गया था. नामजद 2,640 लोगों में से 2,116 नियोजित शिक्षक थे. इनमें से 1,310 नियोजित शिक्षकों की सेवा पहले ही समाप्त कर दी गई है. शेष 815 नियोजित शिक्षक सेवा में बने हुए थे. जबकि शिक्षा विभाग की ओर से दी गई समय सीमा समाप्त हो गई थी. इसलिए अब इन 815 नियोजित शिक्षकों की सेवा समाप्त करने की कार्रवाई शुरू की गई है. वहीं, अलग-अलग जिलों के फर्जी नियोजित शिक्षकों को लेकर शिक्षा विभाग एक्टिव है और कार्रवाई भी की जा रही है.