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पूर्णिया के गालीबाज दारोगा और डीएसपी की चौतरफा चर्चा, पब्लिक पिटाई का कवरेज कर रहे पत्रकारों को भी नहीं छोड़ा.

There was widespread discussion about the abusive inspector

Purnia- सरकार पुलिस को पीपुल्स फ्रेंडली होकर काम करने की बात कहती है मगर कई खाकी वर्दीधारी पर इसका कोई असर होता नहीं दिखता है। सुशासन की सरकार में कानून के रक्षक ही भक्षक बन रहे हैं। पूर्णिया में गालीबाज डीएसपी और रंगबाज सब इंसपेक्टर की चर्चा हर तरफ हो रही है. आम लोगों की पिटाई का कवरेज करने वाले पत्रकारों को भी वर्दी का धौंस दिखाते हुए जेल भेजने की धमकी दे रहे हैं। पत्रकारों ने जब समझाने की कोशिश की तो पुलिस वाले ने खाकी वर्दी का रुतबा दिखाते हुए ऐसी गाली दी जिसे सार्वजनिक रूप से बताया भी नहीं जा सकता है. लगभग दो घंटे तक हाई वोल्टेज ड्रामा होता रहा।


 पूर्णियां से पुलिस की दबंगई का मामला सामने आया है। पुलिस अफसरों ने न्यूज कवरेज करने पहुंचे पत्रकारों का मोबाइल छीन लिया। गाली गलौज करते हुए जेल में डालने की धमकी दी। बताया जा रहा है कि थाना चौक के पास ट्रैफिक पुलिस एक क्षतिग्रस्त कार को जेसीबी से खींचकर ले जा रही थी इसी दौरान सामने से आ रहे कार से टकरा गई। कार में मरीज को लेकर कुछ लोग डाक्टर के पास इलाज कराने जा रहे थे। इस क्रम में कार में बैठे युवकों ने तेज आवाज में ट्रैफिक पुलिस से हटने को कहा। बस यही बात पुलिस को नागवार लगी। तुरंत ही ट्रैफिक पुलिस ने कार में बैठे युवक  को बाहर निकाल पीटना शुरू कर दिया। इससे आक्रोशित युवकों ने ट्रैफिक पुलिस का सर फोड़ दिया। 

के हाट थाने के सब इंसपेक्टर वीरेंद्र सिंह और ट्रैफिक डीएसपी कमल किशोर ने बारी बारी से पत्रकारों को केस में फंसाने की धमकी देकर पुलिसिया खौफ दिखाया। इस घटना के संबंध के हाट थाने में मामला भी दर्ज कराया गया है। पूर्णियां के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों के दल ने डीआईजी विकास कुमार और एसपी उपेंद्रनाथ वर्मा को इस घटना से अवगत कराते हुए कार्रवाई की मांग की। 

डीआईजी ने कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है । सदर डीएसपी पुष्कर कुमार को घटना की जांच का जिम्मा सौंपा गया है। पत्रकार संघ ट्रैफिक डीएसपी और सब इंसपेक्टर के निलंबन की मांग कर रहे हैं।

 पूर्णिया से रोहित की रिपोर्ट

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