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Ratan Tata की जिंदगी से जुड़ा यह दिलचस्प किस्सा, आपको भी कर देगा Motivate

'जीवन में आगे बढने के लिए उतार-चढाव बहुत जरुरी है, क्योंकि ईसीजी में एक सीधी रेखा का मतलब है कि हम जीवित नहीं हैं'- लोगों को प्रभावित करने वाली यह बात कोई और नहीं बल्कि टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का है. ऐसी कई लाइनें युवाओं को प्रभावित करने के लिए रतन टाटा के द्वारा कही गई है. उद्योग जगत में रतन टाटा ने एक अलग मुकाम हासिल किया है. वह देश के सफल बिजनेसमैन की लिस्ट में शामिल हैं. उन्होंने टाटा स्टील के जमशेदपुर प्लांट से अपने करियर की शुरुआत की थी. इस दौरान उन्होंने एक ट्रेनी से लेकर टाटा समूह के चेयरमैन तक का सफर तय किया है. इसके अलावा उन्होंने देश के विकास के लिए भी कई कार्य किए हैं. न सिर्फ कारोबारी और व्यापारी बल्कि देश का युवा भी उन्हें अपना आदर्स मानते हैं.

एम्प्लॉई की ऐसे बचाई थी जान

उनके कार्यकाल में टाटा समूह ने कई मुकाम हासिल किए और आज भी उनके मार्गदर्शन में समूह लगातार आगे बढ़ रहा है. अपने कारोबारी कौशल से जहां रतन टाटा बिजनेस जगत के हीरो बने. वहीं, उनके व्यवहार ने उन्हें सबका चहेता बनाया. वह एक सफल उद्योगपति के साथ-साथ अच्छे इंसान भी हैं. दरअसल, उनसे जुड़ा एक किस्सा भी काफी चर्चे में रहा है. रतन टाटा अपने साथ काम करने वालों की कितनी परवाह करते हैं, इसका एक उदाहरण 2004 में उस वक्त देखने को मिला था, जब वह अपने एक एम्प्लॉई की जान बचाने के लिए खुद विमान उड़ाने को तैयार हो गए थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस समय टाटा मोटर्स के एमडी प्रकाश एम तेलंग की तबीयत अचानक खराब हो गई. डॉक्टरों ने उन्हें तुरंत पुणे से मुंबई ले जाने की सलाह दी, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद एयर एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं हो पाई. जब रतन टाटा को इसकी जानकारी मिली, तो वह खुद कंपनी का विमान उड़ाने के लिए तैयार हो गए. 

कोरोना काल में उठाई आवाज

हालांकि, तभी खबर आई कि एयर एंबुलेंस का प्रबंध हो गया है. प्रकाश करीब 50 साल तक टाटा मोटर्स के साथ रहे और 2012 में रिटायर हो गए. बता दें कि, रतन टाटा के पास विमान उड़ाने का लाइसेंस है और वह एक ट्रेंड पायलट हैं. बताया जाता है कि, टाटा के पास 150 करोड़ की कीमत वाले डसॉल्ट फाल्कन 2000 प्राइवेट जेट भी है. टाटा ने साल 2007 में अमेरिकी लड़ाकू विमान F-16 में उड़ान भरी थी, उस समय उनकी उम्र 69 साल थी. रतन टाटा कर्मचारियों के हितों को लेकर सजग रहते हैं. कोरोना काल में जब अधिकांश कंपनियां बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी कर रही थीं, तब रतन टाटा ने इसका विरोध करते हुए इसे नैतिकता के खिलाफ करार दिया था. उन्होंने कहा था कि कोरोना के मुश्किल दौर में लोगों के प्रति कंपनियों की जिम्मेदारी बनती है. कंपनियों के लिए लंबे समय तक काम करने वाले कर्मचारियों के प्रति संवेदनशीलता जरूरी है.  

घर की रसोई से लेकर आसमान तक धमक  

बता दें कि, रतन टाटा ने टाटा ग्रुप के कारोबार का इतना विस्तार किया है कि, घर की रसोई से लेकर आसमान तक उनकी धमक साफ-साफ दिखाई देती है. उन्होंने टाटा ग्रुप को नई बुलंदियों तक पहुंचाकर देश-दुनिया में बहुत बड़ा नाम कमाया, लेकिन फिर भी वो हमेशा जमीन से जुड़कर रहे. उन्होंने समाज की बेहतरी के लिए कई काम किए हैं. अरबपति कारोबारी और बेहद दरियादिल इंसान रतन टाटा अब 86 साल के हो चुके हैं, 28 दिसंबर को रतन टाटा ने अपना 86वाम जन्मदिन सेलिब्रेट किया. रतन टाटा के जीवन से जुड़े कई दिलचस्प और प्रेरणादायक किस्से काफी मशहूर हैं. 

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