लोकसभा चुनाव को लेकर वोटों की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे सियासी पारा चढता ही जा रहा है. रैलियों और जनसभाओं का दौर ताबड़तोड़ जारी है. एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है. ऐसे में बात करें बिहार के सियासत की तो गजब की गहमागहमी बनी हुई है. इस बीच बात करेंगे बिहार के वैसे लोकसभा क्षेत्र जो कि सुरक्षित सीट कही जाती है. इन सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के घटक दलों के सभी उम्मीदवारों के बीच पहला मुकाबला होगा. तो वहीं, इस बार बिहार की सभी सुरक्षित लोकसभा सीटों पर नए खिलाड़ी आमने-सामने होंगे, जिसकी वजह से चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है.
बिहार की छह सुरक्षित सीटें
बता दें कि, बिहार में छह सीटें गया, समस्तीपुर, हाजीपुर, जमुई, गोपालगंज और सासाराम सुरक्षित हैं. इनमें कुछ सीटें गठबंधन के तहत दूसरे दल के कोटे में जाने से तो कहीं उम्मीदवार के बदल जाने से ऐसी स्थिति आयी है, नए खिलाड़ी इन सीटों से अब लड़ाई लड़ेंगे. वहीं, एक-एक सीटों पर नजर डालें तो गया में हम पार्टी के संरक्षक जीतन राम मांझी मैदान में हैं. उनके सामने पूर्व मंत्री राजद के कुमार सर्वजीत हैं. मांझी तो पहले भी गया से लोकसभा का चुनाव लड़ते रहे हैं. लेकिन, कुमार सर्वजीत पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में इन दोनों प्रत्याशियों के बीच पहली बार मुकाबला हो रहा है.
जमुई में है कड़ा मुकाबला
इधर, जमुई में लोजपा रामविलास के उम्मीदवार अरुण भारती और राजद की अर्चना रविदास दोनों ही पहली बार मैदान में हैं. जैसा कि, आपको सभी को पता होगा कि, जमुई से पिछली बार लोकसभा का चुनाव लोजपा के चिराग पासवान जीते थे. लेकिन, इस बार उन्होंने अपने बहनोई अरुण भारती को यहां से उम्मीदवार बनाया है. इसके अलावे सासाराम में भी पहली बार भाजपा के शिवेश राम मैदान में हैं. हालांकि, यहां पर महागठबंधन के तहत कांग्रेस को लड़ना है, लेकिन उसने अभी अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. लगातार उम्मीदवार की खोजबीन जारी है. यहां पर कांग्रेस उम्मीदवार से शिवेश राम की पहली बार लड़ाई होगी.
समस्तीपुर-हाजीपुर की स्थिति
तो वहीं, समस्तीपुर में जेडीयू के मंत्री अशोक चैधरी की बेटी और लोजपा रामविलास की उम्मीदवार शांभवी पहली बार चुनाव लड़ रही हैं. यहां पर कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, लेकिन जो भी होंगे, उनके और शांभवी के बीच पहली लड़ाई ही होगी. यहां पर रालोजपा के प्रिंस राज सांसद थे, लेकिन इस बार यह सीट लोजपा रामविलास को मिली है. बात दें कि, रालोजपा एनडीए से ही बाहर हो गयी है. वहीं, बात करें अन्य सुरक्षित सीट हाजीपुर की तो यहां भी स्थिति समस्तीपुर की जैसी ही है. यहां पर भी राजद ने अपना उम्मदीवार का नाम घोषित नहीं किया है, हालांकि, पूर्व मंत्री शिवचन्द्र राम की चर्चा है. उधर, एनडीए के तहत यहां से लोजपा रामविलास के प्रमुख चिराग पासवान मैदान में हैं. वह पहली बार हाजीपुर से लड़ रहे हैं. यहां से उनके पिता रामविलास पासवान आठ बार और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस एक बार सांसद रह चुके हैं. यहां पर भी एनडीए और महागठबंधन के उम्मीदवार के बीच का मुकाबला नया होगा.
गोपालगंज से जानें प्रत्याशी
अब आखिर में बात करेंगे गोपालगंज की सीट की, जो कि सभी 6 सुरक्षित सीट में से एक मात्र ऐसा सीट है जहां से वर्तमान सांसद को टिकट मिला है. जदयू सांसद डॉ. आलोक कुमार सुमन लगातार दूसरी बार यहां से मैदान में हैं. तो वहीं, महागठबंधन के तहत इस बार यह सीट वीआईपी को चली गयी है. वीआईपी पहली बार यहां से चुनाव लड़ेगी. राज्य की छह सुरक्षित सीटों में तीन लोजपा रामविलास को मिली है. इस तरह देखें तो राज्य की आधी सुरक्षित सीटों पर एनडीए के अंतर्गत लोजपा रामविलास के उम्मीदवार होंगे. बता दें कि, एनडीए के तहत लोजपा रामविलास को बिहार में कुल पांच सीटें मिली हैं, जिनमें तीन सुरक्षित हैं. तो वहीं, सुरक्षित सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के प्रत्याशी एक-दूसरे को पहली बार टक्कर देंगे.