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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आखिर किस हद तक है कामगार, जानिए खास बातें...

इन दिनों आप टीवी चैनलों पर एआई एंकर को एंकरिंग करते देख रहे होंगे. इसके साथ-साथ आपने कई ऐसे वीडियो भी देखे होंगे जिसमें एआई तकनीक का प्रयोग प्रस्तुतकर्ता द्वारा किया गया होगा. ऐसे में जेहन में सवाल आता है कि ये एआई तकनीकि है क्या ? क्या आने वाले भविष्य में इंसान की जगह बहुत सारे काम एआई ही करने लगेगा ? क्या आने वाले सालों में हम बैंक और अन्य दफ्तरों में इंसान की जगह एआई कर्मी मिलेंगे ? क्या स्कूलों में भी एआई टीचर बच्चों की क्लास लेगी और यहां तक की कार और बस के ड्राइवर भी एआई ही हो जाएंगे ? ऐसे तमाम सवाल हैं और आज हम इनका जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे. लेकिन, इन सबसे पहले हम आपको सरल भाषा में बताते हैं कि एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है क्या ? 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित रोबोट या फिर इंसानों की तरह सोचने वाला सॉफ्टवेर बनाने का एक तरीका है. यह ठीक मानव मस्तिष्क की तरह सोचता है. समस्याओं को हल करता है. आसान भाषा में इसका अर्थ है, बनावटी तरीके यानी कृतिम तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता. आप अमेजन, फिल्पकार्ट जैसी कंपनियों के वेवसाइट पर जैसे ही किसी वस्तु को सर्च करते हैं, उससे जुड़ी वस्तुओं के प्रचार आपके मोबाइल पर दिखने लगते हैं. यह भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ही है. इन दिनों चैट जीपीटी भी खासा पोपुलर हो रहा है. यह निबंध लिखने से लेकर बच्चों के होमवर्क तक निपटा दे रहा है. कई कंपनियां अब चैट बोट का प्रयोग कस्टमर सपोर्ट के लिए कर रही है.

 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरूआत का इतिहास देखें तो, इसकी शुरूआत 1950 के दशक में हुई थी. लेकिन, इसका महत्व 1970 में पहचाना गया. इस पर सबसे पहले पहल करने वाला देश था जापान. 1981 में जापान ने फिफथ जेनरेशन नामक योजना शुरू की थी. इसमें सुपर कंप्यूटर के विकास के लिए 10 साल के कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई गई. इसके बाद ब्रिटेन ने इसके लिए एल्वी नामक प्रोजेक्ट बनाया. बात इसके भविष्य की करें तो, 2024 तक मशीनें स्वयं सीखने और स्वयं को सुधारने में सक्षम हो जाएंगे और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की रचना मनुष्यों के मस्तिष्क से अधिक तेज होगी. यह किसी भी समस्या को मनुष्य की क्षमताओं से ज्यादा तेजी से निपटाने की क्षमता रखता है.

क्या आने वाले वक्त में हमें दफ्तरों में एआई तकनीकी रोबोट इंसान की जगह काम करते हुए दिखेगा ? इन दिनों ही एआई का प्रयोग शुरू हो चुका है. स्वास्थ्य, कृषि, ऑनलाइन चैटिंग और ट्रैफिक नियंत्रण में इनका प्रयोग किया जा रहा है. साइबर सिक्यूरिटी में भी इसका प्रयोग किया जा रहा है. दिनों दिन इनकी महत्ता बढ़ती जा रही है. धीरे-धीरे इस तकनीक का प्रयोग हर दफ्तरों में आम हो जाएगा.

अब जहां इसके फायदें हैं, वहीं इसका नुकसान भी है. नौकरियां खत्म होने का एक बड़ा खतरा है क्योंकि जैसे-जैसे एआई तकनीक का इस्तेमाल बढ़ेगा, नौकरियां कमती चली जाएंगी. इसमें सबसे ज्यादा फिल्मिंग और ग्राफिक डिजाइनिंग जैसे लोगों का होगा. इस सेक्टर में एआई के जरिए काफी तेजी से काम हो रहा है. इसके साथ-साथ बढ़ते एआई के प्रयोग से मानवीय मूल्यों और भावनाओं को खतरा पहुंचे की संभावना है. इन सभी चुनौतियों के साथ आने वाला दौर एआई की ओर बढ़ता जा रहा है और कुछ सालों में इसका प्रयोग काफी आम हो जाएगा.

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