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ISRO के लिए आज का दिन बेहद खास, पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1 रचेगा इतिहास

चंद्रयान- 3 की सफल लैंडिंग के बाद इसरो और देश की वाहवाही पूरे दुनिया में हुई. भारत द्वारा इतिहास रचा गया जिसके बाद हर तरफ बस इसरो की ही चर्चा हो रही थी. इस बीच इसरो एक और इतिहास आज रचने जा रहा है, जिसके कारण आज का दिन इसरो के लिए बेहद ही खास माना जा रहा है. दरअसल, आज पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1 इतिहास रचने के करीब पहुंच गया है. जानकारी के मुताबिक, सूर्य का अध्ययन करने के लिए देश के पहले अंतरिक्ष-आधारित मिशन 'आदित्य एल1' यान धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर फाइनल ऑर्बिट में स्थापित होने जा रहा है.

क्यों अहम है यह मिशन

इधर, इसरो ने आदित्य-एल1 को अंतिम गंतव्य कक्षा में स्थापित करने की तैयारी कर ली है. इस बीच आपको याद दिला दें कि, मिशन मून की सफलता के करीब 10 दिन इसरो ने आदित्य एल1 को लॉन्च किया था. ये मिशन इसलिए भी अहम है क्योंकि सूरज के बेहद करीब किसी मिशन को भेजने में कुछ ही देश सफल हुए हैं. इसके लैग्रेंजियन प्वाइंट तक पहुंचना इसलिए भी अहम है क्योंकि यहां पर धरती और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल एक दूसरे को अपनी ओर खींचता है.

करीब 400 करोड़ रुपये की लगी लागत 

बात करें आदित्य-एल1 की तो यह करीब 400 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित सैटेलाइट यान है, जिसका भार लगभग 1,500 किलोग्राम है. यह पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर हेलो कक्षा में स्थापित होकर सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्षआधारित भारतीय वेधशाला के रूप में कार्य करेगा. इसरो अधिकारियों की माने तो, अंतरिक्ष यान सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के 'लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल 1) के आस-पास एक 'हेलो' कक्षा में आज शाम 4 बजे के करीब पहुंचेगा. 'एल1 प्वाइंट' पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है. 'लैग्रेंज प्वाइंट' वह क्षेत्र है, जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाएगा. 'हेलो' कक्षा, एल 1 , एल 2 या एल 3 'लैग्रेंज प्वाइंट' में से एक के पास एक आवधिक, त्रि-आयामी कक्षा है.

सौर गतिविधियों का लगाया जायेगा पता

इस मिशन के लेकर खास जानकारी यह भी है कि, 'एल1 प्वाइंट' के चारों ओर 'हेलो' कक्षा में उपग्रह से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है. इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अवलोकन करने में अधिक लाभ मिलेगा. इसरो के एक अधिकारी की माने तो, 'शनिवार शाम लगभग चार बजे आदित्य-एल1 को एल1 के चारों ओर एक 'हेलो' कक्षा में पहुंचा देगी. यदि हम ऐसा नहीं करते हैं, तो संभावना है कि यह शायद सूर्य की ओर अपनी यात्रा जारी रखेगा.' फिलहाल, पूरे देशवासियों की निगाहें इस मिशन पर टिकी हुई है. 

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