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आरक्षण को लेकर 21 अगस्त के भारत बंद के मुद्दे पर आमने-सामने मोदी कैबिनेट के दो बिहारी दलित मंत्री..

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Desk- एससी एसटी आरक्षण में कोटे में कोटा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर देशभर का दलित समाज दो वर्गों में बट गया है, वहीं केंद्र की मोदी सरकार में भी अलग-अलग दलों के नेताओं के बीच परस्पर विरोधी बयान दिए जा रहे हैं. मोदी सरकार के  कैबिनेट मंत्री और लोजपा रामविलास पासवान पार्टी के सुप्रीमो चिराग पासवान ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया है जबकि मोदी कैबिनेट के ही बिहार के दूसरे दलित नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है और उसे जल्द से जल्द बिहार समेत पूरे देश में लागू करने की मांग की है.

 बताते चलें कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलित समाज का कई संगठन ने 21 अगस्त को भारत बंद बुलाया है जिसका समर्थन केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान समेत कई नेता कर रहे हैं, जबकि जीतनराम मांझी ने इस बंद का विरोध किया है और कहा है कि दलितों के आरक्षण का फायदा कुछ मुट्ठी भर लोग अभी तक उठते रहे हैं और यह लोग चाहते हैं कि आगे भी यही लोग फायदा लें बाकी जो निकला समाज है वह अभी भी जिल्लत की जिंदगी जीती रहे. इसलिए वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत कर रहे हैं और जा रहे हैं कि दलितों में जो जातियां  विकास के पायदान में पीछे रह गई है उन्हें कोटे में कोटा के तहत आरक्षण देकर आगे बढ़ाने का काम बिहार के साथी केंद्र की सरकार करें.

 इसको लेकर जीतन राम मांझी ने पटना में एक विशेष बैठक भी की जिसमें हम पार्टी के नेता के साथ ही 18 जातियों के नेता भी शामिल हुए.

जीतन राम मांझी ने  CM नीतीश कुमार से मांग की है कि बिहार सरकार तत्काल दलितों में शामिल बेहद कमजोर जातियों के अलग से आरक्षण का प्रावधान करे, वर्ना वे सड़क पर उतरने को मजबूर होंगे. 

 18 जातियों की मोर्चा की मांगों के समर्थन करते हुए जीतन राम मांझी ने कहा कि आज तक आरक्षण की समीक्षा नहीं हुई , जो अविलंब होनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि उपवर्गीकरण की बात तो निश्चित करेंगे ताकि 78 साल बाद जिस वर्ग तक सुविधा नहीं पहुँची, उसको भी मौका मिले. मांझी ने कहा कि संपन्न दलित यह झूठ फैला रहे हैं कि आरक्षण खत्म करने की साजिश हो रही है.

वे वही लोग हैं जो वंचित दलितों के विकास के रास्ते को रोकना चाहते हैं. मांझी ने कहा कि वे चाहते हैं कि राज्य सरकार बिहार में भी हरियाणा के तरह आरक्षण में भी वर्गीकरण कर वंचित दलित को मुख्य धारा में लाने का प्रयास करे.ऐसा भ्रम फैलाने का हम विरोध करते हैं. आज आजादी के 78 साल बाद जो संपन्न दलित हैं , वे ही आरक्षण के बल पर 95% नौकरी और तमाम सुविधाओं का लाभ लेते रहे हैं.बिहार के दलितों के 18 जाति के लोगों को आरक्षण का आज तक कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है , इसलिए हम मांग करते हैं बिहार सरकार और केंद्र सरकार आरक्षण में उपवर्गीकरण करे.बिहार में ऐसी 18 जातियां हैं जिनकी आबादी 10% है उन्हें कम से कम 10%  आरक्षण मिलना चाहिए और कुछ संपन्न दलितों के द्वारा आरक्षित खत्म करने की बात कर रहे हैं वह गलत कर रहे हैं. 

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