क्या आपने कभी ऐसा सुना या देखा है कि किसी कुली की सुरक्षा में बॉडीगार्ड हमेशा खड़े रहते हों. अगर नहीं तो हम आपको बता दें कि बिहार की राजधानी पटना में पटना जंक्शन में कार्यरत कुली धर्मनाथ यादव उर्फ धर्मा को दो-दो बॉडीगार्ड सुरक्षा देते हैं. धर्मनाथ जब दुनिया का बोझ उठाते हैं तो ये दोनों सुरक्षाकर्मी उसके साथ रहते हैं. धर्मनाथ एक ऐसे कुली हैं जो 10 सालों से बॉडीगार्ड लेकर चलते हैं.
बता दें कि पटना जंक्शन पर 1989 से कुली का काम कर रहे धर्मनाथ यादव एक नहीं बल्कि दो दो बॉडीगार्ड लेकर चलते हैं. एक बॉडीगार्ड जिला प्रशासन की तरफ से मुहैया कराया गया है तो दूसरा जीआरपी की तरफ से मुहैया कराया गया है. दो बॉडीगार्डों के बीच माननीयों की तरह कुली धर्मनाथ चलते हैं. बॉडीगार्डों के बीच लोगों के सामान अपने सिर पर उठाते हैं और लोगों के बर्थ तक पहुंचाने का काम करते हैं.
दरअसल पटना के कुली धर्मनाथ यादव की कहानी काफी दिलचस्प है. प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी 27 अक्टूबर 2013 को पटना के गांधी मैदान में हुंकार रैली में संबोधित करने के लिए पहुंचने वाले थे. धर्मनाथ कुली विश्राम गृह में आराम कर रहे थे. इसी बीच सुबह लगभग 10:00 बजे पटना जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर 10 के डीलक्स शौचालय के पास में धमाका हुआ.
धमाके से पूरा रेल परिसर हिल गया था. कुली धर्मनाथ अपनी लाठी उठाकर खिड़की से बाहर निकले. इसी बीच कुली धर्मनाथ की नजर शौचालय के पास खड़े एक युवक पर पड़ी, जो खून से लथपथ था और गेट खुला हुआ था. देखते ही धर्मनाथ यादव को शक हुआ, फिर क्या था धर्मनाथ ने आत्मसाहस दिखाते हुए इम्तियाज आलम को धर दबोचा.
धर्मनाथ को पता ही नहीं था कि जिसको उसने पकड़ा है, वह बड़ा आतंकवादी है. शौचालय के पास इम्तियाज आलम को कुली ने पकड़ा कर रखा और तत्काल पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंची. उसके बाद पूरी घटना का पर्दाफाश हुआ. अगर धर्मा, आतंकवादी इम्तियाज को नहीं पकड़ते तो गांधी मैदान में नरेंद्र मोदी की सभा में एक बड़ा धमाका हो सकता था, लेकिन धर्मा के साहस के कारण एक बड़ी घटना होने से टल गई.
इसके बाद न्यायालय के आदेश के बाद कुली धर्मनाथ यादव को एक बॉडीगार्ड मुहैया कराया गया. धर्मनाथ की काबिलियत को देखते हुए इस साल एक और बॉडीगार्ड जिला प्रशासन की तरफ से मुहैया करा दिया गया है. अब धर्मनाथ यादव दो-दो सुरक्षा जवानों के बीच अपना काम करते हैं. धर्मनाथ यादव का कहना है कि एनआईए से अभी तक गवाही नहीं दिलवाई गई है. मैं गवाही देने के लिए आज भी तैयार हूं. "उस घटना के बाद साल 2013 दिसंबर में और साल 2014 में पाकिस्तान से धमकी और पैसे का ऑफर दिया गया था. कहा गया था की तुम मारे जाओगे या 50 लाख रुपये लो पर मैं पैसे पर बिकने वाला नहीं हूं. मेरी इच्छा है कि राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हो सकूं और मेरी काबिलियत और साहस को ध्यान में रखते हुए मेरे बेटे को एक सरकारी नौकरी दी जाए. हमारी सुरक्षा के लिए दो-दो बॉडीगार्ड मुहैया कराई गई है लेकिन रहने का ठिकाना नहीं है. कुली विश्राम गृह में रहते हैं. रात्रि में दोनों बॉडीगार्ड चले जाते हैं. इसलिए सरकार से मेरा आग्रह है कि हमको आवास दिया जाए."
कुल मिलाकर देखा जाए तो साल 2013 में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी गांधी मैदान में पहुंचकर हुंकार रैली को संबोधित करने वाले थे. गांधी मैदान में आतंकवादियों के द्वारा बड़ी घटना को अंजाम देने की योजना थी, लेकिन बम बनाते वक्त पटना जंक्शन पर ही ब्लास्ट हो गया. जिसके बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ. पुलिस तत्परता दिखाते हुए गांधी मैदान में बड़ा विस्फोट होने से रोक दिया. कुली धर्मनाथ यादव का कहना है कि मेरा जो कर्तव्य था मैंने किया. मेरी इच्छा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलूं, क्योंकि नरेंद्र मोदी के लिए गांधी मैदान के हुंकार रैली बड़ा साबित हुआ और आज प्रधानमंत्री बने हैं. मेरी इच्छा को केंद्र सरकार पूरा करने का काम करें तो मैं धन्य हो जाऊंगा."