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नीतीश कुमार के शासन में अतिपिछड़ा समाज को मिली नई दिशा - उमेश सिंह कुशवाहा

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जनता दल (यू0) के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने बुधवार को बयान जारी कर कहा कि वर्ष 2005 में सत्ता का बागडोर संभालने के ठीक एक वर्ष बाद यानी 2006 में मुख्यमंत्री ल नीतीश कुमार ने राज्य अतिपिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया। साथ ही अतिपिछड़ों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2006 में पंचायती राज तथा वर्ष 2007 में नगर निकाय में आरक्षण की व्यवस्था की।उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि अतिपिछड़ा वर्ग के शैक्षणिक उत्थान के लिए भी प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना, अत्यंत पिछड़ा वर्ग मेधावृत्ति योजना, जननायक कर्पूरी ठाकुर कल्याण छात्रावास योजना, मुख्यमंत्री पिछड़ा एवं अतिपिछड़ा वर्ग कौशल विकास योजना, छात्रावास अनुदान योजना सहित कई अन्य योजनाएं संचालित है। बिहार में पिछड़ा एवं अतिपिछड़ा कल्याण का जो बजट 2008-09 में 42 करोड़ 17 लाख था वो 2024-25 में बढ़कर 18 अरब से अधिक हो चुका है।प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि नीतीश कुमार ने बातौर मुख्यमंत्री अपने कार्ययोजनाओं से भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर, राम मनोहर लोहिया, डाॅ0 अंबेडकर एवं लोकनायक जेपी के आदर्शों को जमीन पर उतारा। साथ ही उनके सपनों को साकार करने की ओर प्रभावी कदम बढ़ाया है।  नीतीश कुमार के ईमानदार प्रयासों से समाज के अंतिम पंक्ति पर खड़े तबकों में नया आत्मबल पैदा हुआ है, हमें इस बात का गर्व है कि हमारे नेता ने सामाजिक न्याय की राजनीति को नया आयाम दिया।आगे कुशवाहा ने कहा कि 15 वर्षो तक बिहार में लालू-राबड़ी की सरकार थी लेकिन उन्होंने कभी अतिपिछड़ा समाज के हितों की चिंता नहीं की। अपने बेटे-बेटियों के मोह में लालू परिवार ने प्रदेश की जनता के साथ लगातार छल किया और वोट के लिए लोगो को अंधकार में रखा। यूपीए सरकार में राजद की अहम भागीदारी के बावजूद भी कर्पूरी ठाकुर के लिए भारत रत्न की मांग नहीं की गई। वहीं श्री नीतीश कुमार के प्रयासों से लंबे अंतराल के बाद कर्पूरी ठाकुर को केंद्र सरकार द्वारा भारत रत्न से नवाजा गया।

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