बिहार जद(यू0) के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने शुक्रवार को बयान जारी कर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि अपनी पार्टी में परिवार फर्स्ट की नीति अपनाने वाले कभी आरक्षण के हितैषी नहीं हो सकते हैं। राजद में लाभ वाले सभी पदों पर केवल लालू परिवार के सदस्यों कब्जा है। सामाजिक न्याय के आड़ में राजद ने अब तक परिवारवाद को बढ़ावा दिया और आज आरक्षण के नाम पर घड़ियाली आँसू बहाकर तेजस्वी यादव राजनीतिक पाखंड कर रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि आरक्षण पर नैतिकता का उपदेश देने से पहले श्री तेजस्वी यादव अपनी पार्टी में दलित, पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग की यथोचित भागीदारी सुनिश्चित करें।आगे कुशवाहा ने कहा कि 15 वर्षों तक बिहार में राजद की सरकार थी लेकिन अतिपिछड़ा वर्ग के प्रति लालू परिवार की घृणित मानसिकता के कारण पंचायती राज एवं नगर निकायों में अतिपिछड़ा आरक्षण की मांग को लगातार अनसुना किया गया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों में बिहार का बागडोर मिला तो उन्होंने सबसे पहले अतिपिछड़ा समाज के लिए पंचायती राज एवं नगर निकायों में आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि तेजस्वी यादव बताएं कि आखिर किन कारणों से वर्ष 1990 से 2005 तक उनके माता-पिता ने अतिपिछड़ा आरक्षण में अड़ंगा लगाने का काम किया था।साथ ही उमेश सिंह कुशवाहा ने पूछा कि वर्ष 1990 से 2005 तक तेजस्वी यादव के माता-पिता को बिहार में जातीय गणना कराने और आरक्षण का दायरा बढ़ाने से किसने रोका था? वर्ष 2004 से 2014 तक केंद्र की यूपीए सरकार में राजद प्रमुख साझेदार थी लेकिन तब भी जातीय जनगणना को लेकर कोई ठोस पहल नहीं की गई। बिहार की जनता ने जब राजद को 15 वर्षों तक शासन करने का मौका दिया तो उन्होंने कभी दलित, पिछड़ा और अतिपिछड़ा समाज के हितों की चिंता नहीं की और आज वही लोग आरक्षण पर हायतौबा मचा रहे हैं।