1 जून को लोकसभा चुनाव को लेकर 7वें और आखिरी चरण का मतदान होने वाला है. जिसको लेकर आज शाम-शाम तक प्रचार-प्रसार थम जायेंगे. कुल 8 सीटों पर 7वें चरण में वोटिंग होगी. उनमें से पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर हर किसी की निगाहें टिकी हुई है. तमाम राजनीतिक पार्टियों की ओर से अंतिम बार पूरा दम-खम दिखाया जा रहा है. ऐसे में पाटलिपुत्र लोकसभा सीट के लिए बीजेपी ने एक बार फिर से सांसद रामकृपाल यादव पर भरोसा जताया है. तो वहीं, दूसरी ओर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती दो बार की हार का बदला लेने के लिए महागठबंधन के तरफ से चुनावी मैदान में हैं. ध्यान रहे कि, इस बार तीसरी दफा दोनों के बीच आमने-सामने की टक्कर है. रामकृपाल यादव जब लालू प्रसाद के करीबी थे, तो मीसा भारती उन्हें चाचा कहकर संबोधित करती थी. यानी कि, ऐसे में अब सवाल खड़ा हो रहा है क्या "भतीजी" "चाचा" से हार का हिसाब चुकता कर पाएगी या फिर रामकृपाल यादव हैट्रिक मारकर इतिहास रचेंगे ?
पाटलिपुत्र लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा क्षेत्र
सबसे पहले तो बता दें कि, पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पटना जिले के अंतर्गत आती है. इसमें छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिसमें दानापुर, मनेर, फुलवारी, मसौढ़ी, पालीगंज और बिक्रम शामिल हैं. ये सीट 2008 में परिसीमन के बाद सामने आई और यहां पहली बार 2009 में लोकसभा के चुनाव करवाए गए. लेकिन, इस बार कहा जा रहा है कि बीजेपी और आरजेडी के बीच कांटे वाली टक्कर है. बीजेपी से मौजूदा सांसद रामकृपाल यादव लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं और लालू यादव की बेटी मीसा भारती रामकृपाल से 2014 और 2019 के चुनाव में हार चुकी हैं और इस बार जीत की उम्मीद लगाए बैठी हैं.
पिछले चुनावों में मिले कितने वोट ?
पिछले कुछ चुनावों पर नजर डालें तो, पाटलिपुत्र सीट से आरजेडी ने मीसा भारती को पहली बार 2014 के चुनाव में टिकट दिया था. पार्टी यह मानकर चल रही थी कि उसे जीत हासिल होगी, लेकिन मोदी लहर के आगे मीसा भारती टिक नहीं पाईं और उन्हें 40 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी के रामकृपाल यादव को 39.16 फीसदी वोट मिले थे, जबकि मीसा के खाते में 35.04 फीसदी वोट गए. इसके साथ ही 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कुछ ऐसा ही आंकड़ा देखने के लिए मिला था. रामकृपाल यादव को 47.28 फीसदी तो वहीं मीसा को 43.63 फीसदी वोट मिले. आरजेडी नेता को 39 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा.
लगेगी हैट्रिक या पूरा होगा बदला
बता दें कि, रामकृपाल यादव पाटलिपुत्र से पहले राजद के टिकट पर पटना से सांसद रह चुके हैं. साथ ही वह बिहार विधान परिषद के सदस्य भी रहे थे. पाटलिपुत्र से चुनाव लड़ने को लेकर ही रामकृपाल राजद से अलग हुए. वहीं, इस बार वे यदि यहां से जीत जाते हैं तो यह उनकी हैट्रिक होगी. तो वहीं दूसरी ओर मीसा भारती की बात करें तो वह लोकसभा के दो चुनाव लड़ चुकी हैं, लेकिन उन्हें दोनों ही दफा हार का सामना करना पड़ा. इस बार हार का बदला लेने का मौका है. पहली बार 2014 में वह 40 हजार से अधिक मतों से हारीं. वर्तमान में वह राज्यसभा से सांसद हैं. राज्यसभा में यह उनकी दूसरी पारी है. तो देखना होगा कि, इस बार के चुनाव में क्या कुछ होता है.
मतदाताओं का समीकरण
वहीं, बात करें पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की तो, पाटलिपुत्र सीट पर करीब 4 लाख यादव और 1.5 लाख मुस्लिम वोटर हैं, जोकि आरजेडी का कोर वोट बैंक माने जाते हैं. हालांकि, इस बार तस्वीर अलग नजर आ रही है. आरजेडी के MY (मुस्लिम-यादव) फैक्टर के पूरी तरह से एकजुट होने की संभावना कम ही है. इसका एक कारण ये है कि मीसा भारती के चाचा के खाते में भी यादव वोट जा सकते हैं और एआईएमआईएम ने भी यहां अपना उम्मीदवार खड़ा किया है, जिससे मुस्लिम वोटों के बंटने की संभावना बढ़ी है. खैर, सभी पार्टियों की ओर से अपने-अपने तरीके से लोगों को साधने की कोशिश की जा रही है. देखना होगा कि, 4 जून को क्या कुछ रिजल्ट सामने होते हैं.