Desk- 2024 के लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान बड़े खिलाड़ी बनकर उड़ रहे हैं और पांच में से 5 सीट जीतने में कामयाब रहे हैं. नरेंद्र मोदी की मंत्री परिषद में वह सीधे कैबिनेट मंत्री बने हैं उनकी इस कामयाबी के बाद उन्हें हर तरफ से बधाई और शुभकामनाएं मिल रही है. इस कड़ी में उनके चाचा और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने भी बधाई और शुभकामनाएं दी हैं.
ऐसा लगता है कि इस बधाई और शुभकामनाएं के जरिए चाचा पशुपति कुमार पारस अब अपने भतीजे चिराग पासवान से संबंध बेहतर करना चाह रहे हैं क्योंकि अब बदली हुई परिस्थिति में उनके लिए कोई रास्ता बचा हुआ नजर नहीं आ रहा है.
गौरतलाब है कि 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद चाचा और भतीजे के बाद रिश्ते में कड़वाहट आ गई थी और स्वर्गीय रामविलास पासवान के निधन के बाद चाचा पशुपति कुमार पारस ने कुल 6 सांसदों में से पांच के साथ अलग गुट बनाकर पार्टी पर कब्जा कर लिया था और चिराग पासवान को अलग-थलग कर दिया था. वे जदयू के सहयोग से मोदी सरकार में खुद मंत्री भी बन गए थे. इस बीच चिराग पासवान अकेले लगातार संघर्ष करते रहे पर आम लोगों का समर्थन उन्हें मिलता रहा . इस समर्थन की वजह से बीजेपी ने बिहार उपचुनाव में उनका सहयोग लिया जिसकी वजह से बीजेपी को इसका फायदा हुआ और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने चाचा को दरकिनार कर भतीजा चिराग पासवान पर अपना दाव लगाया. चाचा पशुपति कुमार पारस को बेटिकट कर दिया और चिराग की पार्टी को 5 सीटें दी और चिराग की पार्टी ने पांच में से 5 सीट जीतने में कामयाब रही.
अब देखना है कि पशुपति कुमार पारस की बधाई और शुभकामना को चिराग पासवान किस रूप में लेते हैं वे चाचा की तरफ फिर से दोस्ती का हाथ बढ़ाते हैं या फिर एकला चलो की नीति पर चाचा को दरकिनार करते हुए आगे बढ़ते हैं.