Desk- हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच ने आरक्षण को लेकर कोटे में कोटा के प्रावधान को सही ठहराया है. इससे कोई भी राज्य सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में कम प्रतिनिधित्व के आधार पर अनुसूचित जातियों (SC ) के भीतर जातियों को उप-वर्गीकृत कर सकता है. इसके बाद आरक्षण को लेकर एक बार फिर से देश में राजनीतिक बयान बाजी तेज हो गई है. बिहार की नीतिश सरकार की जेडीयू समेत कई दलों के नेताओं ने स्वागत किया है, तो कई राजनीतिक दल के नेता इसका विरोध कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री और लोजपा रामविलास पासवान पार्टी के नेता चिराग पासवान ने इसका विरोध किया है और इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की घोषणा की है.
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि इस देश में दलितों के साथ अभी भी भेदभाव होता है। दलित समाज से आनेवाले युवा को ही शादी के समय घोड़ी पर चढ़ने से रोका जाता है.मंदिर में प्रवेश करने से रोका जाता है। देश में ऐसे कई उदाहरण हैं,जहां पर संपन्न लोग और विशिष्ट पहचान बना चुके दलित समाज के लोग जब मंदिर में जाते हैं तो मंदिर धुलवाया जाता है। आज भी इस तरह के भेदभाद को प्रैक्टिस किया जा रहा है।यह भेदभाव शिक्षा और आर्थिक आधार पर नहीं हो रहा है बल्कि छुआछुत के आधार पर हो रहा है। इसलिए आर्थिक और शैक्षणिक रूप से आगे बढ़ गए दलित समाज के लोगों को आरक्षण के दायरे से बाहर रखना उचित नहीं है. उनकी पार्टी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर करेगी.
बताते चलने की सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला पंजाब सरकार के आदेश को लेकर दिया है या फैसला देशभर में आरक्षण को लेकर काफी अहम माना जा रहा है . वहीं बिहार के नीतिश सरकार ने कोटा में कोटा का पालन काफी पहले ही किया है. ओबीसी में आने वाले कमजोर जातियों को ईबीसी बनाकर अलग से आरक्षण दिया है, वहीं दलितों में कमजोर वर्ग के लोगों को महादलित कैटिगरी बनाकर अलग से सुविधा दी है. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है.