बिहार में नियोजित शिक्षकों से जुड़ा मुद्दा लगातार सुर्खियों में है. एक के बाद एक नए अपडेट सामने आ रहे हैं. इस बीच बड़ी खबर सामने आ गई है कि, अब उन सभी नियोजित शिक्षकों पर कार्रवाई होगी, जो फर्जी हैं. बता दें कि, नियोजित शिक्षकों से जुड़े मुद्दे को लेकर सुनवाई पटना हाईकोर्ट में जारी है. इसी क्रम में मंगलवार को मामले में सुनवाई हुई. इस दौरान बिहार भर में बड़ी संख्या में फर्जी डिग्री के आधार पर नियुक्त शिक्षकों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
वकील का बयान
याद दिला दें कि, इससे पहले कोर्ट ने राज्य निगरानी ब्यूरो को इस मामले पर दो सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था. मुख्य न्यायाधीश के विनोद की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले को लेकर रंजीत पंडित की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. याचिकाकर्ता की ओर से वकील दीनू कुमार और रितिका रानी ने पटना हाईकोर्ट को बताया कि, वर्ष 2006 से 2015 के बीच राज्य के 38 जिलों में 3, 52, 927 शिक्षकों की बहाली की गई लेकिन विभाग को बहाल शिक्षकों के प्रमाण पत्र की सत्यापन के लिए 2,77,424 फोल्डर मिले. यानि कि 72 हजार शिक्षकों के फोल्डर अब तक नहीं मिले हैं, जबकि यह मामला काफी दिनों से चल रहा है.
कार्रवाई का आदेश
इतना ही नहीं निगरानी विभाग द्वारा की जा रही जांच की गति भी काफी धीमी है. दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य में बड़ी संख्या में शिक्षक फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी कर रहे हैं और वेतन भी ले रहे हैं. वकील दीनू कुमार ने कहा कि इससे पहले कोर्ट ने 2014 के एक आदेश में कहा था कि ऐसी फर्जी डिग्रियों के आधार पर राज्य सरकार के अधीन कार्यरत सभी शिक्षक को एक अवसर सिया जाता है. जिसके तहत शिक्षक अगर स्वयं इस्तीफा देते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी. उन्होंने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद कुछ शिक्षकों ने इस्तीफा भी दे दिया है. कई शिक्षकों पर कार्रवाई भी हो चुकी है. इस मामले में पटना हाईकोर्ट जल्द ही फैसला सुना सकता है.