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सशक्त भारत के लिए अपने जिम्मेदारी को समझना जरूरी: विजय सिंह

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बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस आजादी का जश्न मनाने का उत्सव तो है ही साथ देश के प्रति संकल्प लेने का भी पर्व है । हम सभी को अपने साथ-साथ समाज की बेहतरी और राष्ट्रप्रथम के भाव के साथ 'स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत' का संकल्प लेना चाहिए । इससे हम समरस और सशक्त भारत के निर्माण में हम अपनी भागीदारी कर सकते हैं ।श्री सिन्हा ने आगे कहा कि 'स्वच्छ भारत' का जो अभियान हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री ने चलाया है उसका उद्देश्य महज अपने परिवेश को साफ-सुथरा बनाना ही नहीं है, बल्कि उसमें आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्वच्छता का भाव भी छुपा है ।  आर्थिक स्वच्छता के जरिये हम भय, भूख और भ्रष्टाचार से मुक्त देश समाज बना सकते हैं । सामाजिक स्वच्छता के माध्यम से विकारों से मुक्त, आपसी सामंजस्य से युक्त समरस समाज का निर्माण हो सकता है और सांस्कृतिक स्वच्छता के द्वारा अपनी गौरवशाली विरासत की नींव पर विकास को सुनिश्चित किया जा सकता है श्री सिन्हा ने कहा हम अक्सर अपने आसपास भ्रष्टाचार की गंदगी को लेकर बात करते हैं । लेकिन उस गंदगी से देश और समाज को मुक्त करने की दिशा में अपनी जिम्मेदारियों को नहीं पहचान पाते । आज समय आ गया है कि हम देश को राजनीतिक और आर्थिक भ्रष्टाचार से मुक्त कराने का संकल्प अपने मौलिक कर्तव्य के रूप में लें । किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार से खुद को दूर रखते हुए अपने आसपास उसे होने भी न दें । आज के सूचना-संचार के दौर में सुगमता पूर्वके ऐसी अनियमितताओं से प्रभावी रूप से निपटा जा सकता है । इसलिए अपने संवैधानिक अधिकारों के साथ-साथ अपने नागरिक कर्तव्य को पहचानते हुए हम अपने देश को भ्रष्टाचार रूपी गंदगी से मुक्त करने सफल हो सकते हैं।श्री सिन्हा ने कहा कि देश आज अमृत काल के दौर में है । इसलिए अभी से लेकर आजादी की सौवीं वर्षगांठ तक हमें एक जागरूक नागरिक के तौर पर अपने कर्तव्यबोध को पहचानना होगा । तभी भविष्य में हमारा अधिकार भी सुरक्षित रह सकता है । आज भारत के पड़ोसी देशों में जो उथलपुथल का माहौल बना है ।  उसपर बारीक नजर भी रखनी होगी और उससे सीख भी लेनी होगी । तभी हम उन गलतियों और विकृतियों से बच सकेंगे जिसकी वजह से हमारे पड़ोसी देश आज सामाजिक और राजनीतिक अशांति के शिकार हैं । तभी हमारे देश मे लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित समरस समाज भी सुरक्षित रह पाएगा और हम विकसित भारत के अपने 'सामूहिक सपने' को सच कर पाएंगे ।

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