चिलचिलाती धूप और तपती गर्मी ने लोगों का हाल बेहाल कर रखा है. आसमान से मानो आग बरस रहे हो. पारा सातवें आसमान पर है. तापमान कभी 42 डिग्री सेल्सियस तो कभी 43 डिग्री सेल्सियस को पार कर जा रहा है लिहाजा लोग त्राहिमाम-त्राहिमाम हो रहे हैं. इस बीच खबर पूर्वी चंपारण से है जहां तेज गर्मी से एक तरफ धरती का तापमान बढ़ रहा है तो दूसरी ओर जलस्तर भी घटता जा रहा है.
अत्यधिक गर्मी पड़ने के कारण जलसंकट भी शुरू हो गया है. पहले कुछ इलाकों में पानी की कमी दिखती थी, लेकिन अब इसका दायरा बढ़ता जा रहा है. शहर हो या गांव या सुदूर इलाके सबकी स्थिति एक समान होती जा रही है. ग्रामीण इलाके पानी के मामले में कुछ बेहतर माने जाते थे, लेकिन वहां भी शहर जैसी ही स्थिति हो गई. कई गांवों में कुएं सूखते जा रहे हैं तो कई जगह तालाब पानी के बिना मैदान बनते जा रहे हैं.
वहीं, शहरी क्षेत्र की स्थिति और दयनीय हो गई है. इसी कड़ी में मोतिहारी में पेयजल का हाल वहां के लोगों ने बयां किया. पेयजल की स्थिति पर स्थानीय लोगों ने कहा कि, पारा सातवें आसमान पर है. तापमान कभी 42 डिग्री सेल्सियस तो कभी 43 डिग्री सेल्सियस को पार कर जा रहा है. तेज धूप की वजह से जमीन के अंदर भी इतनी गर्मी है कि पानी का लेयर काफी नीचे चला गया है. जिस कारण से पानी के लिए त्राहिमाम है.
बता दें कि, कई जिलों का पारा 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है. बिहार में अब यह स्थिति आ गई है कि नदियां भी सूखने लगी है. नदियों के पानी का लेवल इतना नीचे चला गया है कि उसका जलस्तर भी मापना मुश्किल है. नदियों के पानी सूख जाने के कारण किसानों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है. पानी के आभाव में इसका असर फसल पर पड़ रहा है.