Delhi - स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले से देश को संबोधित कर रहे हैं इस दौरान उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के संघर्ष से लेकर देश के विभिन्न आयामों की चर्चा कर रहे हैं.
पीएम मोदी का संबोधन इस प्रकार है , 'मेरे प्यारे देशवासियों, आज जो महानुभाव राष्ट्ररक्षा और राष्ट्रनिर्माण के लिए पूरी लगन और प्रतिबद्धता के साथ देश की रक्षा कर रहे हैं, ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। चाहे वे किसान हों, जवान हों, हमारे नौजवानों का हौसला हो, दलित हो पीड़ित हों, वंचित हों... लोकतंत्र के प्रति उसकी श्रद्धा पूरे विश्व के लिए एक प्रेरक घटना है। मैं आज ऐसे सभी को आदरपूर्वक नमन करता हूं।'
पीएम मोदी ने आगे कहा, 'प्यारे देशवासियो, इस वर्ष और पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक आपदा के कारण हम सबकी चिंता बढ़ती जा रही है। प्राकृतिक आपदा में अनेक लोगों ने अपने परिवारजन खोए हैं। संपत्ति खोई है। राष्ट्र ने भी नुकसान झेला है। मैं आज उन सबके प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं और उन्हें विश्वास दिलाना चाहता हूं कि देश इस संकट की घड़ी में उनके साथ खड़ा है।
पीएम मोदी ने कहा, 'हम जरा आजादी से पहले के वे दिन याद करें। सैकड़ों साल की गुलामी और कालखंड संघर्ष का रहा। युवा हो, बुजुर्ग हो, किसान हो, महिला हो, आदिवासी हो... वे गुलामी के खिलाफ जंग लड़ते रहे। 1857 से पहले भी कई आदिवासी क्षेत्रों में आजादी के लिए जंग लड़ी जा रही थी। गुलामी का इतना लंबा कालखंड, जुल्मी शासक, अपरंपार यातनाएं, सामान्य से सामान्य मानव का विश्वास तोड़ने की हर तरकीबें लेकिन इसके बावजूद भी उस समय की आबादी के हिसाब से 40 करोड़ देशवासियों ने वो जज्बा दिखाया, सामर्थ्य दिखाया, एक सपना लेकर चले, एक संकल्प लेकर चलते रहे। एक ही श्रद्धा था वंदेमातरम। एक ही सपना था आजादी का। हमें गर्व है वे हमारे पूर्वज थे। 40 करोड़ लोगों ने दुनिया की महासत्ता को उखाड़कर फेंक दिया था। गुलामी की जंजीरों को तोड़ दिया था।
अगर हमारे पूर्वज जिनका खून हमारी रगों में है, आज हम तो 140 करोड़ हैं। अगर 40 करोड़ लोग गुलामी की बेड़ियों को तोड़ सकते हैं, आजादी के सपने को पूर्ण कर सकते हैं तो 140 करोड़ मेरे परिवारजन अगर संकल्प लेकर चल पड़ते हैं, एक दिशा निर्धारित कर चल सकते हैं। कदम से कदम और कंधा से कंधा मिलाकर चल सकते हैं तब चुनौतियां कितनी भी बड़ी क्यों न हों, अभाव की मात्रा कितनी ही तीव्र क्यों न हो, संसाधनों के लिए जूझने की नौबत हो तब भी हर चुनौती को पार करते हुए हम समृद्ध भारत बना सकते हैं। हम 2047 में विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। अगर 40 करोड़ देशवासी अपने पुरुषार्थ से आजादी दे सकते हैं तो 140 करोड़ देशवासी उसी भाव से समृद्ध भारत भी बना सकते हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि एक समय था जब लोग देश के लिए मरने के लिए प्रतिबद्ध थे और आजादी मिली थी। आज ये समय है देश के लिए जीने की प्रतिबद्धता। अगर देश के लिए मरने की प्रतिबद्धता आजादी दिला सकती है तो देश के लिए जीने की प्रतिबद्धता समृद्ध भारत भी बना सकती है। साथियो, विकसित भारत 2047 सिर्फ भाषण के शब्द नहीं हैं। इसके पीछे कठोर परिश्रम चल रहा है। देश के कोटि-कोटि जनों के सुझाव लिए जा रहे हैं और हमने देशवासियों से सुझाव मांगे। हमें प्रसन्नता है कि देश के करोड़ों नागरिकों ने विकसित भारत 2047 के लिए अनगिनत सुझाव दिए हैं। हर देशवासी का सपना, संकल्प इसमें प्रतिबिंबित हो रहा है। हर किसी ने 2047 में जब देश आजादी का 100 साल मनाएगा, तबतक विकसित भारत के लिए अनमोल सुझाव दिए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित भारत के लिए सरकार ने आम नागरिकों से सुझाव मांगे थे तो निम्न सुझाव मिले..
भारत को दुनिया का स्किल कैपिटल बने
भारत ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बने
भारतीय यूनिवर्सिटीज ग्लोबल बनें
भारत का मीडिया ग्लोबल बने
भारत के स्किल्ड युवा विश्व की पहली पसंद बनें
भारत जल्द से जल्द जीवन के हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने
सुपरफूड को दुनिया के हर डाइनिंग टेबल पर पहुंचाना है, विश्व को पोषण देकर भारत के छोटे किसानों को समृद्ध बनाया जाए
छोटी इकाइयों में के शासन-प्रशासन को दुरुस्त किया जाए
न्याय में विलंब हो रहा है, यह चिंताजनक है; हमारे देश की न्याय व्यवस्था में सुधार की बहुत जरूरत है
बढ़ती आपदाओं के बीच शासन-प्रशासन के लिए अभियान चले
अंतरिक्ष में भारत का स्पेस स्टेशन बने
भारत की पारंपरिक औषधियां और वेलनेस हब के रूप में विकसित हो
भारत को जल्द से जल्द तीसरी बड़ी इकॉनमी बननी चाहिए