उत्तरकाशी में आखिरकार मशीनों पर इंसानी मेहनत भारी पड़ी. भयावह सुरंग में जिंदगी और मौत से लड़ रहे मजदूर जीत ही गए और उन्हें दूसरी जिंदगी मिली. जब सुरंग को भेदने में तमाम बड़ी-बड़ी महीनें विफल रही तो ऐसे में मानव के ताकत का एहसास हुआ और अंत में उन्हीं के सहयोग से 41 मजदूरों को बचा लिया गया. अमेरिका से आई ऑगर मशीन के टूट जाने के बाद रैट माइनर्स ने बचे हुए मलबे को खोदकर बाहर निकाला और मंगलवार देर शाम को सभी मजदूरों को पाइप के जरिए सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया.
वैश्विक मीडिया ने की रेस्क्यू ऑपरेशन की सराहना
वहीं, जैसे ही 41 मजदूरों को सुरक्षित निकाला गया, उसके बाद सुरंग के बाहर मानो खुशियों की लहर दौड़ गई. इसके साथ ही आतिशबाजी होने लगी. इस मुद्दे को तमाम मीडिया के द्वारा भी कवर किया गया. जिसमें मानव साहस की जमकर सराहना की गई. दरअसल, बीबीसी ने ऑपरेशन का अपडेट जारी करते हुए कहा, 'सुरंग के बाहर, पहले व्यक्ति के सुरंग से बाहर आने की खबर पर जश्न मनाया जा रहा है.' बीबीसी ने अपनी वेबसाइट पर एक फोटो भी अपलोड की, जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह सुरंग से बचाए गए पहले मजदूर से मिलते हुए दिखाई दे रहे हैं.
'द गार्जियन' और 'अल-जजीरा' की रिपोर्ट में क्या ?
इसके अलावे ब्रिटिश दैनिक 'द गार्जियन' ने बताया कि, सिल्कयारा-बारकोट सुरंग के प्रवेश द्वार से स्ट्रेचर पर पहले लोगों के निकलने का नाटकीय दृश्य 400 घंटे से अधिक समय के बाद आया, जिसके दौरान प्रमुख बचाव अभियान में कई बाधाएं, देरी और आसन्न बचाव के झूठे वादे शामिल थे. तो वहीं कतर के समाचार चैनल अल-जजीरा की रिपोर्ट में कहा गया कि, '12 नवंबर को सुरंग धंसने से शुरू हुई कठिन परीक्षा को खत्म करने के बाद बचावकर्मियों ने मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया. मजदूरों को लगभग 30 किमी दूर एक अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एम्बुलेंसें सुरंग के मुहाने पर खड़ी थीं. मजदूरों को वेल्डेड पाइपों से बने मार्ग से बाहर निकाला जा रहा है.'
'द टेलीग्राफ' और 'सीएनएन' ने क्या बताया ?
इधर, लंदन स्थित दैनिक 'द टेलीग्राफ' ने अपनी मुख्य खबर में कहा कि, सैन्य इंजीनियरों और खनिकों ने एक पेचीदा ऑपरेशन पूरा करने के लिए मलबे के माध्यम से 'रैट हॉल' ड्रिल किया. सीएनएन ने बताया कि, 'घटनास्थल के वीडियो फुटेज में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को श्रमिकों से मुलाकात करते हुए देखा जा सकता है. मशीन के जाने के बाद हाथों से खुदाई कर के मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है.'