बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से बिहार के चार लाख नियोजित शिक्षकों की परीक्षा ली जाएगी. जो भी नियोजित शिक्षक इस सक्षमता परीक्षा में पास होंगे, उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाएगा. वहीं, इस परीक्षा के लिए आवेदन की प्रक्रिया 1 फरवरी से ही शुरु कर दी गई है. परीक्षा में पास होने के लिए नियोजित शिक्षकों को तीन बार मौका दिया जाएगा. अगर अभ्यर्थी पास होंगे तो उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा मिल जाएगा. लोकिन, इस बीच यह भी सवाल है कि यदि इन तीनों मौकों में कोई फेल हो जाते हैं, तो फिर उनका क्या होगा ? तो आपको बता दें कि, इन शिक्षकों के लिए भी शिक्षा विभाग की ओर से तैयारी कर ली गई है.
क्या होगा परीक्षा में फेल हो जाने पर ?
जानकारी के मुताबिक, सक्षमता परीक्षा नहीं देने वाले नियोजित शिक्षकों या तीन बार में भी पास नहीं होने वाले नियोजित शिक्षकों के लिए शिक्षा विभाग ने एक कमेटी का गठन किया है. इसमें पांच सदस्य हैं. इस कमेटी के अध्यक्ष शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक बने हैं. माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद को सचिव बनाया गया है. इसमें सदस्य के रूप में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर भी हैं. इसके अलावा प्राइमरी डायरेक्टर मिथिलेश मिश्रा और एससीईआरटी के निदेशक सदस्य बने हैं. सभी सदस्य मिलकर निर्णय लेंगे.
कमेटी की ओर से लिए जायेंगे निर्णय
बता दें कि, सक्षमता परीक्षा के निर्णय के बाद से ही नियोजित शिक्षकों के बीच टेंशन बढ़ गई है इस सवाल को लेकर कि, जो लोग एग्जाम पास नहीं करेंगे उनका क्या होगा ? क्या उनकी नौकरी चली जाएगी ? इस पर उस वक्त भी शिक्षा विभाग ने कहा था कि, इस पर विचार नहीं किया गया है कि उनके लिए क्या कुछ होगा. अब कमेटी इस पर विभाग ने कमेटी का गठन कर दिया है. कमेटी की ओर से निर्णय लिया जाएगा. ऐसे में शिक्षकों के बीच नौकरी जाने का भी डर लग रहा है कि अगर परीक्षा नहीं पास कर पाए तो कहीं केके पाठक कोई बड़ा निर्णय न ले लें. अब देखना होगा कि वैसे शिक्षकों के लिए इस कमेटी की ओर से क्या निर्णय लिए जाते हैं.