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कब लागू होगा महिला आरक्षण बिल? 2024 या 2029 के बाद......समझिए कहां फंसा है पेंच

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लोकसभा में मंगलवार को महिला आरक्षण बिल पेश हुआ, अमलीजामा पहनाने से पहले इसे कई रुकावटों से गुजरना होगा. इनमें राजनीतिक दलों का समर्थन हासिल करने के साथ जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया शामिल हैं. बिल के प्रावधानों में कुछ चीजें बिलकुल साफ हैं. जनगणना के बाद परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने पर ही यह अमल में आएगा. एक्‍सपर्ट्स के मुताबिक, संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद भी बात खत्‍म नहीं होगी. इसे कानून की शक्‍ल लेने के लिए कम से कम 50 फीसदी राज्‍य विधानसभाओं की मंजूरी की जरूरत होगी. कुल मिलाकर अभी यह कहा जा सकता है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले इसे लागू कर पाना मुश्किल होगा. 2029 के बाद भी इसे लागू करने के लिए सरकार को तेजी से काम करना होगा. तभी यह वास्‍तकिता बनेगा.

संविधान के जानकारों का कहना है कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण बिल को कानून का रूप देना मुश्किल है. संसद के दोनों सदनों से विधेयक पारित हो जाने के बाद भी कई तरह की अड़चनें हैं. बिल को कानून का रूप देने के लिए कम से कम 50 फीसदी राज्य विधानसभाओं की मंजूरी जरूरी होगी. राज्य विधानसभाओं की मंजूरी इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे राज्यों के अधिकार प्रभावित होते हैं.

महिला आरक्षण से जुड़े 'संविधान (128वां संशोधन) विधेयक' के प्रावधानों में साफ है कि इसके कानून बनने के बाद होने वाली जनगणना के आंकड़ों को पूरा करने के बाद परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने या निर्वाचन क्षेत्रों का दोबारा सीमांकन होने पर ही यह अमल में आएगा.

जनगणना के बाद पर‍िसीमन... फ‍िर होगा लागू

संविधान में अनुच्छेद 334 के बाद जोड़ने के लिए प्रस्तावित नए अनुच्छेद 334ए के अनुसार, 'संविधान (128वां संशोधन), विधेयक 2023 के प्रारंभ होने के बाद की गई पहली जनगणना के संगत आंकड़े प्रकाशित होने के बाद इस उद्देश्य के लिए परिसीमन की कवायद शुरू होने के पश्चात विधेयक प्रभाव में आएगा.'

संविधान के अनुच्छेद 82 (2002 में यथासंशोधित) के अनुसार, 2026 के बाद की जाने वाली पहली जनगणना के आधार पर परिसीमन प्रक्रिया की जा सकती है. इस लिहाज से 2026 के बाद पहली जनगणना 2031 में होगी। इसके बाद परिसीमन किया जाएगा.

सरकार ने 2021 में जनगणना की प्रक्रिया पर कोविड-19 महामारी के मद्देनजर रोक लगा दी थी. 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण को वास्तविक रूप देने के लिए सरकार को इस प्रक्रिया को तेजी से पूरा कराना होगा.

साल 2011 में जनगणना फरवरी-मार्च में की गई थी. अनंतिम आंकड़े उस साल 31 मार्च को जारी किए गए थे. विशेषज्ञों ने यह बात भी कही है कि महिलाएं प्रतिनिधि तो चुनी जा सकती हैं लेकिन वास्तविक अधिकार उनके पतियों के पास रह सकते हैं. जैसा कि पंचायत स्तर पर देखा गया.

मह‍िला आरक्षण लागू होने के बाद क्‍या हो जाएगा बदलाव?

जानी-मानी वकील शिल्पी जैन ने कहा कि अगर आरक्षण के माध्यम से निर्वाचित महिला जन प्रतिनिधि उन्हीं परिवारों से हुईं जिनके पुरुष सदस्य राजनीति में हैं तो महिलाओं के उत्थान का विधेयक का उद्देश्य पूरा नहीं होगा.

इस कानून के प्रभावी होने के बाद लोकसभा में 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी. महिला सांसदों की संख्या 181 हो जाएगी. वर्तमान लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या सिर्फ 82 है. इस संशोधन में वर्तमान में महिला आरक्षण को सिर्फ 15 वर्षों के लिए लागू करने का प्रावधान किया गया है. लेकिन, भविष्य में संसद इस अवधि को बढ़ा भी सकती है.

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