यूएई यानि कि संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी अपने आप में बेहद ही खास है. अबु धाबी में कई ऐसी चीजें हैं जो दुनियाभर में मशहूर है और दुनिया की खासमखास चीजों में शुमार है. इसी फहरिस्त में अब एक और नाम जुड़ गया है. दरअसल, अबू धाबी को उसका पहला हिंदू मंदिर मिल गया है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 फरवरी को मंदिर का उद्घाटन किया. यूएई सरकार ने अबू धाबी में मंदिर बनाने के लिए 20,000 वर्ग मीटर जमीन दी थी. यूएई सरकार ने साल 2015 में उस वक्त ऐलान किया था, जब प्रधानमंत्री मोदी दो दिवसीय दौरे पर वहां गए थे. लेकिन, क्या आपको पता है कि, यही शहर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मस्जिद के लिए भी जाना जाता है.
जी हां, आपको बता दें कि, दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिदों में शुमार शेख जायद ग्रैंड मस्जिद के लिए भी अबु धाबी माना जाता है. जो अपनी खूबसूरती और कारीगरी के लिए दुनियाभर में मशहूर है. शेख जायद ग्रैंड मस्जिद यूएई की सबसे बड़ी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मस्जिद है. सफेद रंग की ये शानदार मस्जिद कारीगरी का बेजोड़ नमूना है और इसमें इस्तेमाल हुई कई चीजें दुनिया की नायाब चीजों में से एक हैं. तो आइये जानते हैं, शेख जायद ग्रैंड मस्जिद से जुड़ी कुछ खास और दिलचस्प बातें........
अबु धाबी में यूएई की सबसे बड़ी मस्जिद
शेख जायद ग्रैंड मस्जिद संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी में मौजूद है. ये यूएई की सबसे बड़ी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मस्जिद है. दुनिया की दो सबसे बड़ी मस्जिद सऊदी अरब के मक्का और मदीना में मौजूद हैं. इनके बाद शेख जायद ग्रैंड मस्जिद का नाम आता है. ये मस्जिद 12 हेक्टेयर यानि कि 30 एकड़ से भी अधिक क्षेत्र में फैली हुई है. जानकारी के मुताबिक, इस मस्जिद में एक समय में सबसे ज्यादा 41 हजार लोग नमाज पढ़ सकते हैं. इसके बड़े हॉल में एक साथ 10 हजार लोग नमाज पढ़ सकते हैं. इसके अलावा दो छोटे हॉल हैं, जिनमें हर एक हॉल में 1,500 लोग नमाज पढ़ सकते हैं. इनमें से एक हॉल महिलाओं के लिए है. इसमें 82 गुंबद हैं, सबसे बड़ा गुंबद मेन हॉल पर बना है.
परंपरा और आधुनिकता का दिखता है मेलजोल
शेख जायद ग्रैंड मस्जिद मुगल, मूरिश, ओटोमन और फारसी आर्किटेक्चर का मिलाजुला रूप है, जो इस्लामिक आर्ट का एक बड़ा ही नायाब नमूना है. इसमें परंपरा और आधुनिकता का जबरदस्त मेलजोल देखने के लिए मिलता है. ये मस्जिद इतिहास को समेटे हुए भविष्य के लिए एक मिसाल है यानी यहां पुराने जमाने की छाप और भविष्य में इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी का संगम भी मिलेगा. बता दें कि, शेख जायद ग्रैंड मस्जिद अपने खूबसूरत डिजाइन और उसमें इस्तेमाल की गई चीजों के लिए जानी जाती है. इसमें दुनिया के सबसे बड़े संगमरमर के मोज़ेक फर्श से लेकर सोने की पत्ती वाले चमकदार गुंबद हैं. मस्जिद को बनाने के लिए दुनियाभर के कई देशों से खास सामग्रियों मंगवाई गई थी. डिजाइनरों ने न्यूजीलैंड, मोरक्को, मिस्र, तुर्की, ग्रीस, पाकिस्तान, इटली, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, चीन और भारत जैसे देशों की अलग-अलग चीजें इस्तेमाल की हैं.
झूमर भी है बेहद ही खास
वहीं, इन सब में सबसे खास है इस मस्जिद में लगा झूमर जो कि अपने आप में एक खास एहमियत रखता है. ये जर्मन फॉस्टिग द्वारा डिजाइन किए गए हैं. ये उलटे लटके हुए पाम के पेड़ की तरह हैं, जो यूएई की जीविका और समृद्धि का प्रतीक है. स्टेनलेस स्टील के झूमर 24 कैरेट सोने की प्लेट और स्वारोस्की क्रिस्टल से सजाए गए हैं, जिसे लगभग 40 मिलियन पीस हरे, लाल और पीले रंग की क्रिस्टल बॉल से बनाया गया है. मस्जिद में खास तरह का लाइटिंग सिस्टम है, जो चांद की रौशनी से तालमेल बिठाता है. मस्जिद में 360-डिग्री लाइटिंग स्कीम है. ये लाइट्स चांद की रौशनी के मुताबिक हर दूसरी शाम को बदलती हैं. चौदवीं के चांद की खास एहमियत है और इस दिन यानी पूर्णिमा पर मस्जिद गहरे नीले रंग की नजर आती है. ऐसा लगता है, जैसे चांद जमीन पर उतर आया हो.
पूरे 11 साल में बनकर तैयार हुआ मस्जिद
यहां का कालीन भी बेहद खास है. कहा जाता है कि, इस कालीन को हाथों से बनाया गया है और यह दुनिया का सबसे बड़ा कालीन है. जिसे डिजाइन करने में 8 महीने का वक्त लगा और एक साल में बनकर तैयार हुआ है. इस कालीन को 1200 लोगों ने मिलकर तैयार किया. ये 5700 मीटर लंबा है. ये मस्जिद के मेन हॉल में बिछाया गया है. यानी मस्जिद में नमाज पढ़ने पर इसकी खासियत को महसूस किया जा सकता है. वहीं, इस मस्जिद को बनने में 11 साल का वक्त लगा. साल 1996 में इसे बनाने का काम शुरू किया गया और दिसंबर 2007 में इसका उद्घाटन किया गया था. इसे पूरा करने में तीन हजार से ज्यादा मजदूरों ने काम किया और 38 कॉन्ट्रैकटर शामिल हुए. इसका निर्माण संयुक्त अरब अमीरात के दिवंगत राष्ट्रपति शेख जायद बिन सुल्तान अल नाहयान द्वारा शुरू की गई थी. 2004 में शेख जायद की मृत्यु हो गई और उन्हें मस्जिद के प्रांगण में ही दफनाया गया. तो इस तरह से यह मस्जिद बेहद ही खास मानी जाती है.