9 जून 1900, वो दिन था जब इस धरती के भगवान कहे जाने वाले बिरसा मुंडा ने दुनिया को अलविदा कह दिया था. आज के दिन बिरसा मुंडा ने रांची जेल में अंतिम सांसें ली. आज बिरसा मुंडा की 123वीं पुण्यतिथि है. बिरसा मुंडा को 'धरती आबा' के नाम से भी जाना जाता है. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बिरसा मुंडा ने योद्धा के रूप में अंग्रेजों को खूब मजा चखाया. आज भी उनके शौर्य और वीरता के गुणगान होते हैं. झारखंड में जल-जंगल और जमीन की रक्षा के लिए बिरसा मुंडा ने अपनी आहूति तक दे दी.
भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली झारखंड के खूंटी जिले का उलिहातु गांव है और वे आज भी पूरे प्रदेश में भगवान की तरह पूजे जाते हैं. 1897 से 1900 के बीच अंग्रेजों और मुंडाओं के बीच कई युद्ध हुए. जिनमें बिरसा मुंडा और उनके चाहने वालों ने अंग्रेजों को पटखनी दी. झारखंड के अलावे बिहार, उड़ीसा, छत्तीसगढ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाकों में बिरसा मुंडा भगवान की तरह पूजे जाते हैं. जिसके बाद 10 नवंबर 2021 को भारत सरकार ने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी.
बता दें कि, राजधानी रांची में कोकर के निकट डिस्टिलरी पुल के पास बिरसा मुंडा की समाधि स्थल भी बनाई गई है. वहीं, आज बिरसा मुंडा के शहादत दिवस के अवसर पर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन समेत अन्य बड़े नेताओं ने शत-शत नमन किया. हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर लिखा कि, "धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के शहादत दिवस पर शत-शत नमन। धरती आबा भगवान बिरसा मुण्डा अमर रहें! झारखंड के वीर शहीद अमर रहें! जय झारखंड !"
राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन ने ट्वीट कर लिखा कि, "स्वतंत्रता संग्राम के महानायक व झारखंड के वीर सपूत धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा जी की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। राष्ट्र के लिए उनका त्याग व बलिदान भावी पीढ़ियों के लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेगा।" केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने ट्वीट कर कहा कि, "खूंटी के वीर, अमर शहीद धरती आबा बिरसा मुंडा जी के शहादत दिवस पर उन्हें कोटि कोटि नमन। अंग्रेजों के खिलाफ उलगुलान कर मात्र 25 साल की उम्र में अपने प्राणों की आहुति देनेवाले भगवान बिरसा मुंडा जी के शहादत को देश सदैव याद रखेगा।"