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Gyanvapi का व्यासजी तहखाना हिंदुओं के लिए क्यों है बेहद खास, ये सभी है वजह....

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देश में इन दिनों ज्ञानवापी से जुड़ा मामला तूल पकड़ा हुआ है. हर तरफ बस इसी के चर्चे हो रहे हैं. इधर, ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर व्यास तहखाने में पूजा शुरू करने का फैसला आया और उसके कुछ घंटों के बाद ही आधी रात में ज्ञानवापी के अंदर मंत्र गूंजने लगे. शंख और घंटे की ध्वनि के बीच हर हर महादेव का जयघोष होने लगा. हालांकि, फैसले के विरोध में मुस्लिम पक्ष ने गुरुवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी के जिला अदालत में भी अर्जी देकर हिंदू पक्ष को उक्त स्थान पर पूजा करने से रोकने का अनुरोध किया है. 

1551 से ही व्यास परिवार करते थे पूजा

बता दें कि, यह तहखाना काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के अंदर ही है. दावा है कि, 1551 से ही व्यास परिवार यहां पर पूजा-पाठ करता था. हालांकि, 1993 में मुलायम सरकार ने इसे बंद करने का आदेश दे दिया था. मस्जिद के चारों तरफ लोहे की ऊंची बाड़ लगा दी गई थी. इसके बाद मुख्य द्वार के अलावा कहीं से भी प्रवेश करने का रास्ता ही नहीं बचा था. जानकारी के मुताबिक, सरकार ने आधिकारिक तौर पर पूजा-पाठ पर रोक नहीं लगाई थी लेकिन अंदर जाने का रास्ता ना होने की वजह से पूजा बंद हो गई.

अंग्रेजी शासनकाल में हुआ था दंगा

बात करें अग्रेजों के शासनकाल की तो, अंग्रेजी शासनकाल में भी मंदिर और मस्जिद को लेकर दंगा हुआ था. 1819 में हुए दंगे के बाद स्थिति को संभालने के लिए वाराणसी के मजिस्ट्रेट ने तहखाना हिंदुओं को सौंपने का आदेश दिया था. इसके बाद अंग्रेजों ने दंगे रोकने के लिए एक हल निकाला. उन्होंने परिसर में ऊपर का हिस्सा मुसलमानों को और नीचे का हिस्सा हिंदुओं को दे दिया. पास में ही रहने वाले व्यास परिवार को यहां पूजा-पाठ का अधिकार दिया गया था. हालांकि, व्यास परिवार का कहना है कि उनके पूर्वज 1551 से ही यहां पूजा पाठ करते थे. इधर, जब अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बाद 1993 में यहां बाड़ लगा दी गई और घेराबंदी कर दी गई. तब तहखाना भी बाड़ के अंदर होने की वजह से व्यास परिवार पूजा करने भी नहीं पहुंच पाता था. व्यास परिवार का दावा है कि, उन्हें वहां जाने से रोका गया था. यह तहखाना करीब 20 बाइ 20 का है. इसकी ऊंचाई सात फीट के करीब ही है. यहां अंदर भगवान शिव, गणेश जी, कुबरेजी, हनुमान जी और गंगा माता की सवारी मगरमच्छ के विग्रह मौजूद हैं. अब इन्हीं मूर्तियों को पूजा के लिए जिला अदालत ने हिंदू पक्ष को सौंप दिया है.

अदालत में लगाई गई थी गुहार

बता दें कि, तहखाने में पूजा के लिए सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र कुमार पाठक ने अदालत में गुहार लगाई थी. उन्होंने कहा कि, अंजुमन इंदेजामिया मसाजिद कमेटी ने इस पर अवैध कब्जा कर रखा है. उन्होंने अदालत से पूजा का अधिकार मांगा. जिला जज ने उनके प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया और मामले को सीनियर डिविजन की अदालत से अपने पास मंगा लिया. कोर्ट में दाखिल पत्रावली में बताया गया कि, यहां शतानंद व्यास, सुखदेव व्यास, शिवनाथ व्यास, विश्वनाथ व्यास, शंभूनाथ व्यास, रुक्मिणी व्यास, महादेव व्यास, कालिका व्यास, लक्ष्मीनारायण व्यास, रघुनंदन व्यास, बैजनाथ व्यास, चंद्र व्यास, केदारनाथ व्यास, सोमनाथ व्यास, राजनाथ व्यास, जितेंद्र नाथ व्यास 1551 से ही पूजा कर रहे हैं.

आज वाराणसी बंद का आह्वान

अदालत के द्वारा लिया गया ये फैसला किसी झटके से कम नहीं था. अदालत के फैसले के बाद ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में रोज पांच आरती का समय भी तय हो गया है. सबसे पहले मंगला आरती होगी, उसके बाद भोग आरती, अपराह्न् आरती, संध्या आरती और शयन आरती भी होगी. वहीं, इन सबके बीच ज्ञानवापी परिसर के आस-पास सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है और बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं. शुक्रवार को जुमे की नमाज को लेकर पुलिस काफी सतर्क है. संवेदनशील इलाकों में पुलिस बल फ्लैग मार्च कर रही है. साथ ही मुस्लिम पक्ष की ओर से आज वाराणसी में बंद का आह्वान भी किया गया है.

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