Desk- नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली है इस बार उन्होंने 72 सदस्यों वाले मंत्री परिषद को शपथ दिलवाई है. आज शाम केंद्रीय मंत्री परिषद की पहली बैठक
होने जा रही है.उम्मीद है कि बैठक से पहले सभी मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा कर दिया जाएगा.
देशवासियों के साथ ही बिहार के लोगों की भी नजर इस विभाग के बंटवारे पर लगी हुई है. लोगों को उम्मीद है कि इस बार कई सालों के बाद बिहार को रेल मंत्रालय मिल सकता है, क्योंकि परोक्ष रूप से जेडीयू और लोजपा रामविलास पार्टी की तरफ से रेल मंत्रालय मिलने की उम्मीद है. इसकी वजह है कि सरकार गठन के दौरान जदयू की तरफ से कहा गया था कि रेल मंत्रालय नीतीश कुमार संभाल चुके हैं और उन्होंने काफी अच्छा काम किया है. जदयू नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन ने भी बयान दिया था कि रेल को लेकर बातचीत हो गई है.इसी तरह चिराग पासवान के पिता स्वर्गीय रामविलास पासवान ने भी रेल मंत्री के रूप में काफी अच्छा काम किया था.हाजीपुर में जोनल कार्यालय उन्हीं की देन है. कई नई परियोजनाओं की शुरुआत उन्होंने की थी. बाद में रेल मंत्री के रूप में लालू प्रसाद यादव ने भी बिहार में कई परियोजनाओं को आगे बढ़ाया था. इसलिए उम्मीद की जा रही है कि अगर बिहार को रेल मंत्रालय मिलता है तो पुरानी कई परियोजनाओं पर काम तेजी से बढ़ सकता है और कई नई योजनाओं की भी घोषणा हो सकती है.
अब देखना है कि रेल मंत्रालय मिलने का अनुमान बिहार वासियों को पूरा होता है या फिर इसमें भी कुछ खेल होता है क्योंकि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की शपथ ग्रहण से पहले यह चर्चा हो रही थी कि बिहार में बीजेपी और जदयू के 12-12 सांसद जीते हैं और दोनों की तरफ से समान संख्या में मंत्री बनाए जाएंगे, लेकिन जब शपथ ग्रहण समारोह की बारी आई तो जदयू को सिर्फ दो मंत्री पद मिला वहीं बीजेपी को चार मंत्री पद बिहार से ही मिला है. ज्यादा मंत्री पद को लेकर जदयू की तरफ से दबाव भी दिया गया था और इसी दबाव के तहत पार्टी नेता कैसी त्यागी ने कहा था कि इंडिया गठबंधन की तरफ से सीएम नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद देने की ऑफर की गई थी लेकिन नीतीश कुमार ने उसे नकार दिया. उनके इस बयान के बाद ही बीजेपी ने बिहार से अपने चार सदस्यों को मंत्री बनाने का फैसला लिया और इससे ये संकेत गया कि गठबंधन की सरकार होने के बावजूद नरेंद्र मोदी दबाव की राजनीति को सहन करने के लिए तैयार नहीं है. अब देखना है कि विभागों के बंटवारे में बिहार वासियों की इच्छा पूरी होती है, ललन सिंह या चिराग पासवान में से किसी एक को रेल मंत्रालय मिलता है या फिर यहां भी खेला होता है.