बिहार में पहली बार जाति से हटकर नौकरी की बात पर सरकार और विपक्ष लड़ रहे हैं. नौकरी देने की क्रेडिट की लड़ाई में युवाओं का फायदा हो रहा है, लेकिन कुछ का नुकसान भी है. महागठबंधन सरकार में 70 दिनों (नवंबर-23 से जनवरी-24) में सवा दो लाख टीचरों को नौकरी दी गई है. महागठबंधन टूटने के बाद सबसे पहले तेजस्वी ने इसी पर बात की और कहा कि हमारी वजह से इतनी नौकरियां मिली हैं.
फिर क्या था, इसका जवाब NDA की सरकार ने 15 दिनों में के भीतर दे दिया. टीचर वैकेंसी के तीसरे चरण में 87 हजार वैकेंसी निकाल दी. 30 हजार से ज्यादा विभिन्न विभागों में नए पद सृजित करके यह बता दिया कि नीतीश की वजह से नौकरियां मिली हैं. यह सिलसिला जारी रहेगा.
लेकिन इसके साथ ही एक और पोस्टर वायरल हो रहा है जिसे बिहार बीजेपी के सोशल मीडिया पेज पर शेयर किया गया है जिसमें लिखा गया है NDA सरकार में नौकरियों की बहार. इस साल बिहार पुलिस में बंपर बहाली...67,735 से ज्यादा पदों पर होगी पुलिसकर्मियों की भर्ती. इस पोस्टर से यह साफ हो गया है कि बीजेपी इस बार नीतीश कुमार को बिहार में टिकने नहीं देना चाहती है.
इसके जवाब में जदयू ने भी एक पोस्टर जारी किया है जिसमें लिखा है बिहार में रोजगार की बहार.... हर क्षेत्र में रोजगार ही रोजगार.......पोस्टर में साफ लिखा गया है कि नीतीश सरकार में रोजगार की बहार.....राज्य में 67,735 पुलिसकर्मियों की होगी बहाली.
जिस प्रकार से बीजेपी ने सीएम नीतीश को अपने पोस्टर से गायब किया है उसपर बिहार की फिजाओं में यह सवाल उठने लगा है कि बीजेपी और जेडीयू में क्या सबकुछ ठीक नहीं है. क्या बिहार में डबल इंजन की सरकार में खटपट चलने लगी है.
आपको याद होगा जब नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ थे तब भी बिहार में रोजगार को लेकर क्रेडिट लेने की होड़ी मची थी. राजद ने हालांकि नीतीश कुमार को हर जगह अपने पोस्टरों में तरजीह दी थी लेकिन नीतीश कुमार ने जदयू के पोस्टरों से तेजस्वी की तस्वीर को साइड कर दिया जिसे लेकर बिहार की सियासत में सवाल भी उठने लगे थे. तभी से महागठबंधन सबकुछ ऑल इज वेल नहीं कहा जा रहा था.
लेकिन आज जब नीतीश कुमार ने पाला बदल कर बीजेपी के साथ वापसी कर ली तब भी सवाल वही का वही है. NDA सरकार तो बिहार में बन गई है लेकिन रोजगार के मुद्दे पर सभी पार्टियां क्रेडिट लेने की होड़ में दिखाई दे रहीं हैं. नीतीश का राजद का साथ छोड़ने के बाद तेजस्वी ने पोस्टर जारी किया 17 महीने बनाम 17 साल जिसमें नौकरियों की भरमार की बात की गई. तेजस्वी ने बहुत सारे कार्यों को गिनाया और कहा कि ये हमने किया. हालांकि अब बीजेपी-जदयू ही आमने सामने आ गई है.
एक कार्यक्रम में सम्राट चौधरी ने कहा भी था कि एक दिन बिहार में बीजेपी की सरकार बनाएंगे. इससे साफ है कि बिहार में नीतीश कुमार को दरकिनार करने की प्लानिंग पहले से रची जा चुकी है. नीतीश कुमार के प्रभाव को बिहार में कम करने के लिए बीजेपी ऐस रणनीति पर काम कर रही है जिससे शायद नीतीश कुमार को आने वाले वक्त में इसका एहसास जरूर होगा.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नीतीश कुमार को साइडलाइन करने के लिए बीजेपी का गेमप्लान पहले से तैयार था. आने वाले समय में जदयू पार्टी को खत्म करने के लिए बीजेपी की ये प्रायोजित रणनीति है.
अब बीजेपी-जदयू के पोस्टरों पर राजद भी मजे ले रही है. इस पूरे मामले पर आरजेडी के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा है कि "जांच करनी है तो 17 महीने बनाम 17 साल कर लें. जब हम लोग सरकार में थे तो क्रेडिट देने का भी काम करते थे और नीतीश कुमार की तस्वीर भी छपती थी, लेकिन भाजपा के लोगों ने नीतीश कुमार की तस्वीर लगाना भी बंद कर दिया. बिहार की जनता इनको सोटा लेकर रगेद देगी."
आने वाले समय में बिहार समेत 2024 का लोकसभा चुनाव होना है साथ ही 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव भी है. ऐसे में राजनीतिक पार्टियों में क्रेडिट लेने की होड़ मची है. अब देखना है कि जनता इसे कैसे देखती है.