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पानी के लिए पानी-पानी हो रही हैं महिलाएं, जाने किस मुसीबत में हैं ये..

Women are desperate for water, know what trouble they are li

AURANGABAD- बिहार के मगध क्षेत्र में अधिकतम तापमान में सारे रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. भीषण गर्मी में के आसमान से आग के गोले बरस रहे है। इस कारण लोग हीट स्ट्रोक के शिकार हो रहे है। किस शिक्षा पुलिस सभी इसकी चपेट में आ चुके हैं. वही बढ़ते तापमान की वजह से मगध क्षेत्र के कई इलाकों में भीषण जल संकट उत्पन्न हो गया है.  पेयजल संकट गहराने से पानी के लिए कई इलाकों में हाहाकार मचा है। 

सर्वाधिक बुरा हाल औरंगाबाद के अति नक्सल प्रभावित मदनपुर के सुदुरवर्ती ग्रामीण इलाकों का है, जहां लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे है। पानी के लिए जद्दोजहद करना इस इलाके के लोगों के लिए रोजमर्रा सा बन गया है। मदनपुर के दक्षिणी उमगा पंचायत के अमावार, बादम, चिलमी, सहजपुर, कनौदी, वकीलगंज, पिछुलियां, सिजुआही,  शिवनगर एवं रतनुआ सहित दर्जनों गांवों में पेयजल के लिए हाहाकार मचा है। अति नक्सल प्रभावित और विकास के मामले में अत्यंत पिछड़े इस इलाका के  ग्रामीणों का कहना है कि लंबे समय से वे पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं, लेकिन कोई सुधि लेने को तैयार नहीं है। इस स्थिति में जलसंकट को लेकर ग्रामीणों की दिनचर्या तक गड़बड़ा गई है। सुबह उठते ही उन्हे पानी की चिंता सताने लग रही है। 

भूगर्भीय जलस्तर में गिरावट से इलाके में चापाकल एवं कुंए सूख गए हैं। इस कारण ग्रामीणों को अपने-अपने गांवों से एक से दो किलोमीटर की दूरी तय कर पानी लाने को मजबूर होना पड़ रहा हैं। इस वजह से इस भीषण गर्मी में महिलाएं दोहरी परीक्षा के दौर से गुजर रही है। पहले उन्हे पानी का इंतजाम करना पड़ रहा है। इसके लिए उन्हे सिर पर तसली में पानी लेकर गर्मी की चिलचिलाती धूप में एक से दो किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है। धूप और गर्मी का ताप झेलते हुए पानी लाने से थकी होने के बावजूद उन्हे अपने परिवार के लिए खाना बनाना और बच्चों की देखभाल भी करना पड़ रहा है। महिलाओं का कहना है कि उनके गांव के हैंडपंप जवाब दे गए है। इस कारण दो किलोमीटर दूर स्थित हैंडपंप से वे पानी लाने को मजबूर हैं । 

इस मामले में इलाके के सामाजिक कार्यकर्ता विजय कुमार उर्फ गोलू यादव का कहना है कि गर्मी के मौसम में हर साल इस क्षेत्र में पानी की किल्लत झेलनी पड़ती है। शिकायत के बाद अधिकारी सिर्फ आश्वासन देते है। बरसात आने पर भूगर्भीय जलस्तर के उपर आते ही सूख गए हैंड पंप चालू हो जाते है और शासन-प्रशासन इस ओर से आंखें मूंद लेता है। उन्होंने कहा कि इस बार शासन-प्रशासन के स्तर से पेयजल की समस्या निदान के जल्द पहल नहीं की गई तो वें सैकड़ों ग्रामीणों और महिलाओं को साथ लेकर पानी के लिए आंदोलन करने को बाध्य होंगे। 

औरंगाबाद से गणेश की रिपोर्ट

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